मेटा और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियों को भारत में अवैध जुआ और सट्टेबाजी के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देना चाहिए: डिजिटल इंडिया फाउंडेशन रिपोर्ट

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 791

6 मार्च 2025। डिजिटल इंडिया फाउंडेशन द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में भारत में अवैध जुआ और सट्टेबाजी के तेजी से बढ़ते बाजार पर गंभीर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समस्या से निपटने के लिए एक समग्र (इकोसिस्टम) दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें बड़ी टेक कंपनियों, जैसे गूगल और मेटा, को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

▶️ अवैध सट्टेबाजी का बढ़ता खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अवैध सट्टेबाजी और जुए का कारोबार 100 अरब डॉलर से अधिक का हो चुका है और इसमें 30% सालाना वृद्धि हो रही है। डिजिटल विज्ञापनों, सोशल मीडिया, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स और क्रिप्टोकरेंसी जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिए यह अवैध उद्योग लगातार फल-फूल रहा है।

▶️ चार प्रमुख अवैध प्लेटफॉर्म्स पर भारी ट्रैफिक
रिपोर्ट में चार प्रमुख अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स – पेरीमैच, स्टेक, 1एक्सबेट और बैटरी बेट – की पहचान की गई है, जिन पर केवल तीन महीनों (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में 1.6 अरब से अधिक विजिट दर्ज किए गए। सोशल मीडिया के माध्यम से इन प्लेटफॉर्म्स को 4.28 करोड़ विजिट मिलीं, जिनमें फेसबुक विज्ञापन नेटवर्क, प्रमोटेड कंटेंट, इंफ्लुएंसर मार्केटिंग और सोशल मीडिया एंगेजमेंट कैंपेन के जरिए ट्रैफिक लाया गया।

▶️ गूगल और मेटा की जिम्मेदारी पर जोर
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय नियामकों को गूगल और मेटा जैसी सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर अवैध जुए और सट्टेबाजी से संबंधित विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। फिलहाल, इन विज्ञापनों को रोकने के नियम तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन असंगत है।

▶️ सरकार की कार्रवाई और रिपोर्ट की सिफारिशें
सरकार द्वारा अवैध वेबसाइटों को ब्लॉक करने और कानूनी कार्रवाई करने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन ये उपाय पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पाए हैं, क्योंकि अवैध ऑपरेटर नए तरीकों से बचकर काम करते रहते हैं।

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख और सह-संस्थापक डॉ. अरविंद गुप्ता ने कहा,
"भारत में अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे आम उपभोक्ता यह समझ ही नहीं पाते कि वे अवैध वेबसाइट्स से जुड़ रहे हैं। केवल अवैध साइटों को ब्लॉक करना पर्याप्त नहीं है। इसके बजाय, एक व्यापक रणनीति अपनाने की जरूरत है, जिसमें विज्ञापनदाताओं, पेमेंट ऑपरेटर्स और इन प्लेटफॉर्म्स को तकनीकी सहायता देने वाले सॉफ्टवेयर प्रदाताओं को भी शामिल किया जाए।"

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB), इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C), डिजिटल कम्युनिकेशन आयोग (DCC), उपभोक्ता मामलों का विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) मिलकर एक समन्वित रणनीति अपनाएं, जिससे अवैध जुआ और सट्टेबाजी के इस बढ़ते खतरे पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सके।

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