राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 के तहत राज्य के गृह विभाग, मप्र पुलिस, मप्र पुलिस के अपराध एवं अपराध ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम तथा मप्र पुलिस की ई-मेल साल्यूशन वेबसाईट को संरक्षित घोषित कर दिया है। अब यदि किसी व्यक्ति ने बिना इजाजत इन चारों वेबसाईट से छेड़छाड़ की तो उसे उक्त कानून के तहत दस वर्ष की सजा एवं जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 70 में प्रावधान है कि कोई भी राज्य सरकार अपने किसी नेटवर्क को संरक्षित घोषित कर सकेगी। इन संरक्षित नेटवर्क से एक्सेस लेने का अधिकार उसी को हो सकेगा जिसे राज्य सरकार अधिकृत करेगी। यदि किसी ने अनधिकृत रुप से इस नेटवर्क से छेड़छाड़ की मसलन हैक आदि किया तो उसे इस कानून के तहत दस साल तक के कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
राज्य सरकार ने जिन चार नेटवर्क को संरक्षित घोषित किया है उनमें गृह विभाग की वेबसाईट डब्ल्युडब्ल्युडब्ल्यु डाट होम डाट एमपी डाट जीओवी डाट इन, मप पुलिस मुख्यालय की वेबसाईट डब्ल्युडब्ल्युडब्ल्यु डाट एमपी पोलिस डाट जीओवी डाट इन, मप्र पुलिस का सीसीटीएन अर्थात अपराध एवं आपराधिक ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम जिसमें पुलिस थानों द्वारा कम्प्युटर पर एफआईआर दर्ज की जाती है तथा मप्र पुलिस की ई-मेल साल्यूशन अर्थात मेल डाट एमपी पोलिस डाट जीओवी डाट इन शामिल हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य के गृह विभाग के अधीन लोक अभियोजन संचालनालय, होमगार्ड, राज्य आपदा प्रबंधन संस्थान, सैनिक कल्याण संचालनालय, संपदा संचालनालय, पुलिस हाऊसिंग कारपोरेशन, स्टेट गैराज, मेडिकोलीगल संस्थान तथा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी हैं और इनकी वेबसाईट्स हैं परन्तु इन्हें सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत संरक्षित घोषित नहीं किया गया है। वहीं पुलिस मुख्यालय के अंतर्गत एसटीएफ एवं सायबर सेल भी है लेकिन इन्हें भी संरक्षित घोषित नहीं किया गया है।
- डॉ नवीन जोशी
गृह एवं पुलिस वेबसाईट से छेड़छाड़ करने पर मिलेगी दस साल की सजा
Place:
Bhopal 👤By: प्रतिवाद Views: 17616
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