1 अक्टूबर 2017। भारत निर्वाचन आयोग ने कुछ राज्यों के विधानसभा आम चुनावों एवं डेढ़ साल बाद होने वाले लोकसभा आम चुनावों के लिये भविष्य में गठित होने वाले नये राजनैतिक दलों पर नकेल कस दी है। अब ऐसे नये दलों के पंजीकरण के पहले जिला कलेक्टरों से इन दलों के कार्यालय का सत्यापन कराया जायेगा तथा उनकी एनओसी मिलने के बाद ही दल का पंजीकरण होगा।
भारत चुनाव आयोग के इस नये प्रावधान का पालन करने के लिये मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सभी जिलों के कलेक्टरों जोकि जिला निर्वाचन अधिकारी भी होते हैं, हिदायत जारी कर दी है। हिदायत में साफ तौर पर कहा गया है कि भविष्य में निर्वाचन आयोग द्वारा किसी भी राजनैतिक दल के पंजीयन के पूर्व उनके द्वारा दिये गये कार्यालयीन पते के संबंध में संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी से सत्यापन कराया जायेगा। आयोग द्वारा चाहा गया सत्यापन जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा 30 दिन के अंदर प्रेषित करना होगा।
भारत चुनाव आयोग द्वारा मप्र के चीफ इलेक्ट्रोल आफिसर को भेजे गये निर्देश में बताया गया है कि राजनैतिक दल के पंजीकरण हेतु दल के आवेदन के साथ के साथ आयोग को विभिन्न दस्तावेज और ब्यौरे भेजना अपेक्षित रहता है। स्थानीय निकाय, नगरपालिका, नगर निगम आदि से अनापत्ति प्रमाण-पत्र जमा कराना ऐसा ही एक दस्तावेज है। इसकी आवश्यक्ता यह सुनिश्चित करने के लिये है कि किसी भवन/परिसर में राजनैतिक दल का कार्यालय, जिसका उल्लेख पार्टी कार्यालय के रुप में किया गया है, स्थापित करने के लिये स्थानीय प्राधिकरणों के नियमों और विनियमों के अधीन या किसी विधि के अधीन कोई मनाही नहीं है। तथापि देखा गया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय निकायों, नगर निगमों द्वारा एनओसी जारी करने के लिये कोई एकरुपता नहीं है। कुछ हिस्सों में नगर पालिका निकायों ने पार्टी को सूचित किया है कि उनके पास ऐसे अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसीलिये इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये आवेदक पार्टी के पते की उचित छानबीन करने के लिये आयोग ने निर्णय लिया है कि भविष्य में जिला निर्वाचन अधिकारी पार्टी के पते का सत्यापन करेंगे और तीस दिन के अंदर अनापत्ति प्रमाण-पत्र भेजेंगे।
सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि राजनैतिक दलों के पंजीकरण के पूर्व अब जिला निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से उसके पते का सत्यापन होगी कि कहीं वह किसी विवादित स्थान या अतिक्रमण करके तो नहीं बना है या किसी धार्मिक स्थल परिसर में तो नहीं बनाया गया है। पहले भी इसकी स्थानीय निकायों से अनापत्ति लिये जाने का प्रावधान था परन्तु वे या तो अनापत्ति नहीं देते थे तथा इसमें छह-छह माह लगा देते थे। इसीलिये अब यह काम जिला कलेक्टरों को सौंपा गया है तथा अनापत्ति देने की समय-सीमा भी तीस दिन निर्धारित कर दी गई है।
-डॉ नवीन जोशी
अब राजनैतिक दलों के पते का सत्यापन करेंगे जिला कलेक्टर
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