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अब नगरीय निकायों और पंचायतों को जीएसटी, व पैट्रोल-डीजल के करों में भी हिस्सा मिलेगा

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Place: Bhopal                                                👤By: PDD                                                                Views: 17868

13 अक्टूबर 2017। प्रदेश की त्रिस्तरीय नगरीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं को अब राज्य सरकार को जीएसटी, पैट्रोल-डीजल एवं भूमि करों से होने वाली आय में भी हिस्सा मिलेगा। हिस्सा बांटने का यह काम पांचवा वित्त राज्य आयोग करेगा। आयोग को 31 जनवरी 2018 तक का समय इस कार्य के लिये दिया गया है।



ज्ञातव्य है कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के लिये त्रिस्तरीय नगरीय निकायों के अंतर्गत 16 नगर निगम, 98 नगर पालिकायें एवं 264 नगर परिषदें हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों हेतु त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के अंतर्गत 22 हजार 824 ग्राम पंचायतें, 313 जनपद पंचायतें तथा 51 जिला पंचायतें हैं। इन सभी संस्थाओं को राज्य सरकार को विभिन्न करों से मिलने वाली आय में से हिस्सा दिया जाता है। हर पांच साल में इसके लिये राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाता है जो अध्ययन के बाद करों में हिस्से की अनुशंसायें करता है। इस बार गठित आयोग पांचवा वित्त आयोग है। उसे पहली बार जीएसटी, पैट्रोल-डीजल व भूमि करों से होने वाली आय के बंटवारे का काम भी सौंपा गया है।



परन्तु समय पर नहीं दे पायेगा अनुशंसायें :

राज्य सरकार ने पांचवे राज्य वित्त आयोग को करों के बंटवारे हेतु जो ताजा काम सौंपा है उसे आयोग निर्धारित समय यानि 31 जनवरी 2018 तक नहीं कर पायेगा। इसका कारण यह है कि आयोग का गठन गत 20 मार्च 2017 को किया गया और आयोग द्वारा किये जाने वाले कार्य अब सौंपे गये हैं। इसके कारण आयोग के पास इतनी कम अवधि में उसे दिये गये विषयों का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपना संभव नहीं होगा। इसके अलावा आयोग में एक अध्यक्ष एवं चार सदस्य नियुक्त किये गये परन्तु एक सदस्य ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया। लिहाजा राज्य सरकार को वर्षाकालीन विधानसभा सत्र में विधेयक लाना पड़ा कि किसी सदस्य के न होने पर भी आयोग का कौरम माना जायेगा।



राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष हिम्मत कोठारी के अनुसार, आयोग को 1 अप्रैल 2018 से प्रारंभ होने वाले वित्त वर्ष से आगे पांच वर्ष तक के लिये नगरीय निकायों एवं पंचायतों को राज्य को मिलने वाले करों में से हिस्सा निर्धारित करना है। आयोग के गठन एवं उसे दिये जाने वाले काम के आवंटन में काफी विलम्ब हुआ है। इसलिये 31 जनवरी 2018 तक रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकेगी। सरकार से आयोग का कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया जायेगा।







- डॉ नवीन जोशी





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