लाइफस्टाइल बदलाव के साथ बेहतरीन जिंदगी जी सकते हैं सोरायसिस पीड़ित

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 20078

वर्ल्ड सोरायसिस डे विशेष - 29 अक्टूबर

जानलेवा बीमारियां पूरी दुनिया का ध्यान खींचती हैं लेकिन जीवनपर्यन्त मृत्युतुल्य कष्ट देने वाली कई बीमारियों की चर्चा भी नहीं होती। आग में झुलसने समान तकलीफ देने वाली सोरायसिस इनमें से एक है। इसे त्वचा की एक समस्या कहकर नकार दिया जाता है। लाइलाज सोरायसिस आजीवन मानसिक त्रास देकर व्यक्ति को भावनात्मक स्तर पर भी तोड़ता है।



शहर के जाने माने डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. नितिन पण्ड्या के मुताबिक भले ही इस बीमारी का अभी तक इलाज नहीं ढूंढा जा सका है लेकिन इम्यून सिस्टम और आनुवांशिकी से जुड़ी इस बीमारी की तकलीफ, लक्षणों और इससे होने वाली दिनचर्या में पड़ने वाले खलल को डॉक्टरी इलाज से 99 फीसदी तक कम किया जा सकता है। डायबिटीज, ब्लडप्रेशर तथा गठिया की ही तरह इसके रोगी थोड़े से लाइफस्टाइल बदलावों के साथ बेहतरीन जिंदगी गुजार सकते हैं।



वे आगे बताते हैं कि हालांकि तनाव से सोरायसिस नहीं होता किंतु तनावग्रस्त रहने से इस बीमारी को मैनेज करने में जरूर दिक्कत होती है। योग, ध्यान व गहरी सांस लेने वाले व्यायाम तनाव को एक हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके मरीज अपनी पसंद के खुले हुए कपड़े पहनने से हिचकते हैं जिसका उन्हें हमेशा मलाल रहता है। उन्हें अपने मित्रों एवं परिवार की मदद से इस हिचक को तोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।



इण्डियन जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी, वेनेरियोलॉजी एण्ड लेप्रोलॉजी के मुताबिक भारत में 33 मिलियन लोग अज्ञात कारणों से होने वाली इस बीमारी से ग्रसित हैं। बीमारी की अवस्था के मुताबिक इसके रोगी को प्रतिमाह 2 से लेकर 40 हजार रूपये तक दवाओं पर खर्च करने पड़ते हैं। लोगों में भ्रांति है कि सोरायसिस संक्रामक रोग है तथा शारीरिक साफ सफाई न रखने से पैदा होता है। सच यह है कि आनुवांशिकी तथा शरीर की रक्षा प्रणाली में आई गड़बड़ी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।



सिर से लेकर पैर तक कहीं भी होने वाली इस बीमारी का उपचार इंजेक्शन, गोलियों, क्रीम, लोशन व स्प्रे के अतिरिक्त अल्ट्रावायलेट लाइट थेरेपी से किया जाता है। इस थेरेपी से सोरायसिस वाले स्थान पर यूवीए व यूवीबी किरणें डाली जाती हैं।

सोरायसिस का इलाज खोजने के लिए विश्वव्यापी स्तर पर बड़े खोज व अनुसंधान कार्य जारी हैं तथा बीते 10 वर्षों में इसके उपचार की दिशा में खासी प्रगति हुई है।

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