1 नवम्बर 2017। अब प्रदेश की सहकारी समितियों के प्रशासक गैर सरकारी व्यक्ति भी बन सकेंगे। इस संबंध में राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने 57 साल पुराने मप्र सहकारी सोयायटी अधिनियम 1960 में संशोधन संबंधी अध्यादेश जारी कर दिया है।
पहले अधिनियम में प्रावधान था कि प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के शासकीय अधिकारी ही सहकारी समितियों के चुनाव न होने की स्थिति में प्रशासक नियुक्त हो सकेंगे। इन शासकीय अधिकारियों में जिला कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर एवं डिप्टी रजिस्ट्रार सहकारी संस्थायें शामिल थे। परन्तु अब अध्यादेश के जरिये प्रावधान कर दिया गया है कि उक्त शासकीय अधिकारियों के अलावा वह अशासकीय व्यक्ति भी प्रशासक नियुक्त किया जा सकेगा जोकि उस सोसयाटी के संचालक मंडल में सदस्य चुने जाने के लिये पात्र होगा अर्थात अब संबंधित सहकारी सोसायटी के सदस्य भी प्रशासक बन सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में निछले पांच सालों से चौदह जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों जिनमें शामिल हैं - जबलपुर, सिवनी, शहडोल, पन्ना, रीवा, सीधी, छतरपुर, टीकमगढ़, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी,राजगढ़, गुना, तथा देवास - में अब तक चुनाव नहीं हुये हैं। इसी प्रकार शीर्ष सहकारी संस्थायें अपेक्स बैंक, आवास संघ, अपेक्स यूनियन, उपभोक्ता संघ, मत्स्य महासंघ तथा औद्वोगिक सहकारी संघ में भी सालों से चुनाव नहीं हुये हैं। राज्य सरकार इनमें निरन्तर चुनाव टाल रही है तथा अब उसने इनमें अशासकीय व्यक्तियों को प्रशासक बनाने का प्रावधान कर दिया है। ये अशासकीय व्यक्ति राज्य सरकार ही नियुक्त करेगी।
प्रदेश कांग्रेस के सहकारी नेता भगवान सिंह यादव का कहना है कि राज्य की भाजपा सरकार चुनाव टाल कर आरएसएस के लोगों को सहकारी संस्थाओं में प्रशासक नियुक्त करना चाह रही है जिसके लिये यह अध्यादेश लाया गया है। अगले शीतकालीन विधानसभा सत्र में यह अध्यादेश विधेयक के रुप में आयेगा तथा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आश्वासन दिया है कि वे इसका जमकर विरोध करेंगे।
- डॉ नवीन जोशी
अब सहकारी समितियों के प्रशासक गैर सरकारी लोग भी बन सकेंगे राज्यपाल ने जारी किया अध्यादेश
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