2 नवंबर 2017। प्रदेश की पंचायतीराज व्यवस्था के अंतर्गत अब संभाग के अपर आयुक्त और जिले के अपर कलेक्टर को अपीलें सुनने का अधिकार नहीं होगा। दरअसल संभागायुक्त और कलेक्टर इन अपीलों को सुनने के लिये अपने पावर उक्त दोनों अधिकारियों को डेलीगेट कर देते थे। परन्तु कमिशनर-कलेक्टर दोनों को स्वयं ही सुनवाई करना होगी।
दूसरी ओर जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों पर अब अपीले संभागायुक्त के समक्ष की जा सकेगी। पहले इसका प्रावधान नहीं था। दरअसल राज्य सरकार ने कुछ समय पहले जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को सरपंचों एवं पंचायत प्रतिनिधियों तथा पंचायतों में कार्यरत सरकारी कर्मियों पर कार्यवाही के अधिकार प्रदान किये हैं जोकि पहले एसडीएम के पास रहते थे। ऐसे मामलों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा दिये आदेश के विरुध्द अपील किये जाने का प्रावधान नहीं था। इसलिये अब राज्य सरकार ने 22 साल पुराने मप्र पंचायत अपील तथा पुनरीक्षण नियम 1995 में संशोधन किया है।
ये नये संशोधन आगामी 11 नवम्बर के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जायेंगे।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 1995 में जब उक्त नियम बनाये गये तब उसमें प्रावधान था कि पंचायतीराज अधिनियम एवं उपविधियों के अंतर्गत एसडीएम द्वारा पारित आदेश के विरुध्द जिला कलेक्टर के समक्ष, जिला कलेक्टर द्वारा पारित आदेश के विरुध्द संभागीय आयुक्त के समक्ष, संभागीय आयुक्त एवं आयुक्त पंचायतीराज द्वारा पारित आदेश के विरुध्द राज्य सरकार के समक्ष अपील की जा सकेगी।
लेकिन 1 मई 2017 को राज्य सरकार ने मप्र पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के तहत ग्राम पंचायत के सरपंचों एवं पंचायत प्रतिनिधियों को कदाचरण पर धारा 40-एक के तहत कार्यवाही करने तथा धारा 92-एक,दो व तीन के तहत पंचायत काी धनराशि, रिकार्ड या अन्य संपत्ति अवैध रुप से रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने जिसमें तीस दिन तक जेल भेजे जाने का भी प्रावधान है, के अधिकार जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को प्रदान कर दिये। इसीलिये अब मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरुध्द अपील सुनने का अधिकार संभागीय आयुक्त को देने का नया प्रावधान किया गया है।
संचालक को अधिकार नहीं :
राज्य सरकार ने भोपाल में पंचायतीराज संचालनालय में संचालक शमीम उद्दीन की नियुक्ति की हुई है लेकिन उनके पास संभागीय आयुक्तों द्वारा पारित आदेशों के विरुध्द सुनवाई करने का अधिकार नहीं है क्योंकि नियमों में सिर्फ आयुक्त पंचायतीराज संचालनालय को अपील सुनने का अधिकार है। साफ है कि संभागीय आयुक्तों के आदेश के विरुध्द सीधे मंत्री गोपाल भार्गव के अधीन वाला पंचायत विभाग ही अपील सुन सकेगा और आदेश पारित कर सकेगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, कुछ समय पहले सीईओ जिला पंचायत को एसडीएम के स्थान पर धारा 40 एवं 92 के तहत कार्यवाही करने के अधिकार दिये गये लेकिन सीईओ के आदेशों के विरुध्द अपील सुनने का प्रावधान नहीं था इसलिये अब यह नया प्रावधान प्रारुप नियमों में किया गया है।
- डॉ नवीन जोशी
अपर संभागीय आयुक्त और अपर कलेक्टर को अपील सुनने का अधिकार नहीं होगा
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Bhopal 👤By: DD Views: 18305
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