27 नवंबर 2017। प्रदेश के ऐसे नगर निगम जिनमें आसपास की ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों को शामिल किया गया है, अब ऐसी ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों के अधिकारी एवं कर्मचारी भी संबंधित नगर निगम में संविलियत किये जा सकेंगे। इसके लिये राज्य शासन ने सत्रह साल पुराने मप्र नगरपालिक निगम अधिकारियों तथा सेवकों की नियुक्ति तथा सेवा की शर्तें नियम 2000 में बदलाव कर दिया है।
नये बदलाव के अनुसार, अब विलय हुई ग्राम पंचायतों में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी आयुक्त नगर निगम द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से तथा स्थानीय नगरीय निकायों में कार्यरत कर्मचारियों की जानकारी संबंधित निकाय के मुख्य नगरपालिका अधिकारी से प्राप्त की जायेगी। संविलियन उन्हीं कर्मचारियों का होगा जो विलय की गई ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकाय के मूल कर्मचारी हैं। राज्य संवर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों का संविलियन नगर निगम में नहीं किया जायेगा।
इसी प्रकार, संविलियन हेतु नगर निगम के अपर आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी। नगर निगम की वित्त शाखा का वरिष्ठ अधिकारी तथा संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन समिति के सदस्य होंगे जबकि नगर निगम की स्थापना शाखा का वरिष्ठ अधिकारी सदस्य सचिव होगा। यदि संविलियन किये जाने वाले कर्मचारी को न्यूनतम पांच साल से कार्य रहे हैं तो उनकी सीधी भर्ती हेतु न्यूनतम अर्हता नहीं देखी जायेगी लेकिन पांच साल से कम समय से कार्य करने वाले कर्मचारी की न्यूनतम अर्हता देखी जायेगी। चयन समिति यह समझती है कि ऐसे कर्मचारी, सीधी भर्ती के उन पदों के लिये, जो उनके वर्तमान पदों के समतुल्य हैं, उपयुक्त हैं तो उनका सीधी भर्ती के ऐसे पदों पर संविलियन किया जायेगा। यदि ऐसे कर्मचारी समिति द्वारा समकक्ष पद के उपयुक्त न समझे जायें, तो उनका ऐसे अन्य सीधी भर्ती के पदों पर संविलियन कर लिया जायेगा, जिनके लिये समिति उन्हें उपयुक्त समझे। तथापि वेतन तथा वर्तमान वेतनमान संरक्षित रहेगा अर्थात कमतर पदों पर भी संविलियन के बावजूद उन्हें वही वेतनमान मिलेगा जो पहले मिलता था। संविलियन किये गये कर्मियों की वरिष्ठता नगर निगम के मूल कर्मियों से नीचे रहेगा।
- डॉ. नवीन जोशी
नगर निगमों में शामिल ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों के कर्मियों का अब संविलियन हो सकेगा
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Bhopal 👤By: Admin Views: 18350
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