×

सभी सरकारी दस्तावेज हिन्दी में जारी करने की सिफारिश नामंजूर हुई

Place: Bhopal                                                👤By: Admin                                                                Views: 1701

6 जनवरी 2018। केंद्र सरकार के अधीन राजभाषा विभाग द्वारा की गई यह सिफारिश की कि कार्यक्षेत्र के राज्यों जिनमें बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मप्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, राजस्थान और उप्र शामिल हैं, में सरकारों द्वारा सभी दस्तावेज हिन्दी में जारी किये जायें, राष्ट्रपति ने नामंजूर कर दी है।



इसके पीछे तर्क दिया गया है कि सभी राज्यों की विधानसभाओं द्वारा जिन्होंने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रुप में नहीं अपनाया है, संकल्प पारित नहीं कर दिये जाते और जब तक पूर्ववर्ती पारित संकल्पों पर विचार नहीं कर लिया जाता तथा संसद के दोनों सदनों द्वारा ऐसा संकल्प पारित नहीं किया जाता तब तक यह सिफारिश मंजूर नहीं की जा सकती है।



इसी प्रकार राजभाषा विभाग की यह सिफारिश भी राष्ट्रपति ने स्वीकार नहीं की है कि सभी भर्ती परीक्षाओं में अंग्रेजी भाषा के प्रश्न-पत्र की अनिवार्यता समाप्त की जाये और सिर्फ हिन्दी भाषा में ही प्रश्न-पत्र रखे जायें। हिन्दी भाषा में काम न करने पर सरकारी सेवक की पदोन्नति रोकी जाने संबंधी सिफारिश भी राष्ट्रपति ने यह कहकर अस्वीकार कर दी है कि वर्तमान में दंड की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिये यह सिफारिश स्वीकार नहीं की जाती है।



राजभाषा विभाग ने यह भी सिफारिश की थी कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ-साथ स्वदेशी कंपनियों जो अपने उत्पाद की बिक्री अथवा उसके प्रचार-प्रसार के लिये हिन्दी का सहारा ले रही हैं, उनके लिये यह बाध्य किया जाये कि वे सरकार के साथ पत्राचार हिन्दी में ही करें साथ ही सरकार भी उनके साथ पत्राचार हिन्दी में ही करे। लेकिन इस पर राष्ट्रपति ने कहा है कि राजभाषा विभाग इस विषय में संबंधित पक्षों से चर्चा करे तथा तब तक यह इस कार्य के लिये प्रेरणा और प्रोत्साहन के माध्यम से कार्यवाही की जाये।



राष्ट्रपति ने इस सिफारिश को भी मंजूर नहीं किया है कि गैर हिन्दी भाषी राज्य विशेषकर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में हिन्दी समाचर-पत्रों/पत्रिकाओं के प्रकाशन तथा इनसे जुड़े पत्रकारों के प्रोत्साहन हेतु विशेष योजनायें चलाई जायें। राजभाषा विभाग की यह अनुशंसा भी नामंजूर की गई है कि केंद्र सरकार की भर्ती हेतु आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में कम से कम मैट्रिक अथवा समकक्ष स्तर का हिन्दी का एक प्रश्न-पत्र तैयार किया जाये जिसमें अनुत्तीर्ण अभ्यर्थी को असफल माना जाये।







- डॉ नवीन जोशी

Related News

Global News