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भारत ने सतह से हवा में मार करने वाले लंबी दूरी के मिसाइल का किया परीक्षण

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Place: Delhi                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 18250



हवा में अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा करते हुए भारत ने आज ओडिशा तट से दूर एक रक्षा प्रतिष्ठान से सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल का सफल परीक्षण किया.

डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह करीब दस बजकर 13 मिनट पर बालेर से निकट चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से एक मोबाइल लांचर के जरिये भारत और इसाइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित लंबी दूरी के मिसाइल का परीक्षण किया गया.



डीआरडीओ के वैज्ञानिक ने बताया कि परीक्षण सफल रहा और जल्दी ही कुछ और दौर के परीक्षण किये जाने की संभावना है.



अधिकारी ने बताया, "मिसाइल के साथ ही इस पण्राली में मिसाइल का पता लगाने, उसकी स्थिति पर नजर रखने और उसे दिशा देने के लिए मल्टी फंक्शन सर्विलांस और खतरा चेतावनी रडार :एमएफ स्टार: को भी शामिल किया गया है."



उन्होंने साथ ही कहा कि एमएफ स्टार युक्त मिसाइल से उपयोगकर्ता किसी भी हवाई खतरे से निपटने में सक्षम हो पायेंगे.



इससे पहले 30 जून से एक जुलाई के बीच रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के चांदीपुर बेस से सतह से हवा में मार करने वाले तीन मध्यम दूरी के मिसाइलों का लगातार परीक्षण किया गया था.



भारतीय नौसेना ने भी सतह से हवा में मार करने वाले लंबी दूरी के मिसाइल (एलआर-एसएएम) का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण 30 दिसंबर, 2015 को आईएनएस कोलकाता ने पश्चिमी समुद्र तट पर किया.



परीक्षण पूरा होने के बाद इन मिसाइलों को तीनों सेनाओं में शामिल किया जायेगा.



अधिकारी ने बताया कि बीईएल, एल एंड टी, बीडीएल और टाटा समूह जैसे कई अन्य निजी उद्योग घरानों ने भी कई उप पण्रालियों के विकास में अपना योगदान किया, जिसे इस परीक्षण के दौरान इस्तेमाल में लाया गया.



जिला राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एहतियात के तौर पर बालेर जिला प्रशासन ने रक्षा अधिकारी के साथ विचार-विमर्श करके मिसाइल के सुरक्षित परीक्षण के लिए चांदीपुर आईटीआर स्थित प्रक्षेपण केंद्र के 2.5 किलोमीटर के क्षेत्र में रहने वाले 3652 लोगों को आज सुबह निकटवर्ती आश्रय केंद्र में पहुंचा दिया.



तीन तटीय जिलों बालेर, भद्रक और केंद्रपाड़ा में बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को परीक्षण के समय समुद्र में नहीं जाने की हिदायत दी गयी थी.

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