कश्मीर में फैशन शो पर विवाद: रचनात्मकता या सांस्कृतिक आक्रमण?

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 12499

16 मार्च 2025। भारत प्रशासित कश्मीर के गुलमर्ग में हाल ही में आयोजित एक फैशन शो ने विवाद को जन्म दे दिया है। यह कार्यक्रम मशहूर फैशन ब्रांड शिवन एंड नरेश द्वारा अपने स्कीवियर कलेक्शन को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया गया था। यह पहला मौका था जब कोई बड़ा, गैर-स्थानीय ब्रांड कश्मीर में इस तरह का आयोजन कर रहा था। हालांकि, इस शो ने रचनात्मकता की बजाय सांस्कृतिक आक्रमण की बहस को जन्म दे दिया।

🔹 फैशन शो पर नाराजगी क्यों?
मामला तब तूल पकड़ गया जब एले इंडिया ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कुछ मॉडल्स को अंडरवियर और बिकनी में रैंप पर चलते हुए दिखाया गया। इसके अलावा, लाइफस्टाइल एशिया द्वारा साझा किए गए एक अन्य वीडियो में आफ्टर-पार्टी का दृश्य था, जहां लोग खुले में शराब पीते नजर आ रहे थे।

चूंकि यह आयोजन रमजान के पवित्र महीने में हुआ, इसलिए स्थानीय लोगों, धार्मिक नेताओं और राजनीतिक संगठनों ने इसे "इस्लामी भावनाओं और कश्मीरी संस्कृति का अपमान" बताया। कुछ मौलवियों ने इस शो को "अश्लील" और "सॉफ्ट पोर्न" करार दिया।

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मॉडल्स सर्दियों की पृष्ठभूमि में बर्फ पर थिरकते हुए


🔹 सांस्कृतिक पहचान पर हमला?
इस विरोध की जड़ सिर्फ धार्मिक भावना ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा का मुद्दा भी है। कश्मीर, जो सूफीवाद और संतों की भूमि के रूप में जाना जाता है, वहाँ का पारंपरिक पहनावा शालीनता और सादगी का प्रतीक है। स्थानीय लोग प्रायः फेरन (एक लंबा, ढीला लबादा) पहनते हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि यह विवाद बाहरी प्रभावों के थोपने और कश्मीरी संस्कृति को बदलने के प्रयासों का हिस्सा है। कश्मीर ने 1980 के दशक से भारतीय शासन के खिलाफ अलगाववादी विद्रोह देखा है, और वहाँ बाहरी कंपनियों या सरकारी पहलों को हमेशा संदेह की नजर से देखा जाता है।

🔹 राजनीतिक बहस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस जम्मू-कश्मीर विधानसभा तक पहुँच गई। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वह जानबूझकर स्थानीय संस्कृति को कमजोर कर रही है और धार्मिक भावनाओं की अनदेखी कर रही है।

हालांकि, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने खुद को इस आयोजन से अलग रखते हुए कहा कि यह एक निजी आयोजन था और उन्होंने अधिकारियों को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि "अगर कानून का उल्लंघन हुआ है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

🔹 ब्रांड की सफाई और प्रतिक्रिया
विवाद बढ़ने के बाद एले इंडिया और लाइफस्टाइल एशिया को अपने वीडियो हटाने पड़े। शिवन एंड नरेश ब्रांड के डिजाइनरों शिवन भाटिया और नरेश कुकरेजा ने माफी जारी करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य "केवल रचनात्मकता का जश्न मनाना था" और वे किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं रखते थे।

🔹 क्या फैशन शो को राजनीतिक नजरिए से देखा गया?
कश्मीर के एक स्थानीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मीर ने बताया कि "कश्मीर में हर चीज़ राजनीतिक होती है; लोग हर मुद्दे को राजनीतिक चश्मे से देखते हैं।" उनका मानना है कि सरकार के प्रति अविश्वास और बाहरी कंपनियों की गतिविधियों को संदेह की नजर से देखने की प्रवृत्ति ने इस विवाद को और भड़का दिया।

शोधकर्ता अर्शीद अहमद इस गुस्से को और स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं: "सरकार कश्मीरियों की प्रतिरोध की भावना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।"

🔹 क्या यह सिर्फ एक फैशन शो था?
इस विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रचनात्मकता की कोई सीमा होनी चाहिए? विश्व स्तर पर फैशन शो अक्सर भव्य स्थानों पर आयोजित किए जाते हैं – अलेक्जेंडर मैकक्वीन और कार्ल लेगरफेल्ड जैसे डिजाइनर अपने रचनात्मक और नाटकीय शो के लिए मशहूर रहे हैं।

लेकिन फैशन विशेषज्ञ शेफाली वासुदेव का कहना है कि "किसी स्थान की राजनीतिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है, विशेषकर कश्मीर जैसे क्षेत्र में, जिसने दशकों तक संघर्ष देखा है।"

कश्मीर में आयोजित इस फैशन शो ने यह बहस छेड़ दी है कि क्या कला और फैशन के नाम पर किसी क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं की अनदेखी की जा सकती है? यह विवाद सिर्फ एक फैशन शो तक सीमित नहीं, बल्कि कश्मीर की राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान से भी जुड़ा है।

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