
17 मार्च 2025। संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) तुलसी गबार्ड ने नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और 20 अन्य खुफिया प्रमुखों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की। यह बैठक क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चिंताओं, विशेष रूप से आतंकवाद और खालिस्तानी अलगाववादी समूहों से निपटने पर केंद्रित थी।
☑️ बैठक का उद्देश्य और परिणाम
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में भारत और अमेरिका के बीच खुफिया साझाकरण और आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। तुलसी गबार्ड ने आश्वासन दिया कि दोनों देश अपने-अपने क्षेत्रों का उपयोग किसी भी तरह की विरोधी गतिविधियों, विशेष रूप से खालिस्तानी अलगाववादी समूहों द्वारा, के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। खालिस्तानी समूह, जो पंजाब और पड़ोसी राज्यों में एक अलग सिख राज्य ‘खालिस्तान’ की मांग करते हैं, लंबे समय से भारत और कनाडा जैसे देशों के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं।
भारतीय अधिकारियों ने बैठक में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और हाल ही में बांग्लादेश में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों पर भी चिंता जताई। विशेष रूप से, बांग्लादेश में यूनुस सरकार के कार्यकाल के दौरान उभरती आतंकवादी गतिविधियों—जैसा कि सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीरों में दिखाया गया है, जहां प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी झंडे लहराते हुए देखा गया—ने क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है।
☑️ क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताएं
एनएसए अजीत डोभाल ने बैठक में जोर दिया कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को समाप्त करना आवश्यक है। उन्होंने आतंकवाद के प्रायोजकों, वित्तपोषकों और सुविधाकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की, विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेेएम) जैसे समूहों के संदर्भ में। इसके अलावा, अफगानिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क की लगातार उपस्थिति और बांग्लादेश में अस्थिरता ने भारत की सुरक्षा हितों को प्रभावित किया है।
तुलसी गबार्ड की इस यात्रा का समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी 2025 में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के बाद आया है, जहां उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की थी। गबार्ड का यह दौरा भारत-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों की यात्रा का हिस्सा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और न्यूजीलैंड जैसे देश भी शामिल हैं, ताकि वैश्विक सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
☑️ बांग्लादेश और क्षेत्रीय अस्थिरता
हाल के दिनों में बांग्लादेश में बढ़ती अस्थिरता ने भारत और अमेरिका दोनों की चिंता बढ़ा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी झंडे लहराते और सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन करते देखा गया है। एक ट्वीट में, बांग्लादेशी नागरिकों ने चेतावनी दी कि देश सिरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे संकट की ओर बढ़ रहा है, यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई। इन तस्वीरों में युवा प्रदर्शनकारियों को सफेद वस्त्र पहने और काले धुएं के बीच आतंकवादी प्रतीकों के साथ मार्च करते दिखाया गया है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की ओर इशारा करता है।
☑️ खालिस्तानी मुद्दे पर ध्यान
बैठक में खालिस्तानी अलगाववादी समूहों पर विशेष ध्यान दिया गया, जो कनाडा, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में सक्रिय हैं। इन समूहों ने हाल के वर्षों में भारत-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिससे भारत सरकार चिंतित है। तुलसी गबार्ड ने इस मुद्दे पर भारत के साथ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई, यह सुनिश्चित करने के लिए कि अमेरिकी क्षेत्र इन समूहों के लिए कोई मंच न बने।
☑️ विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी, खासकर जब दक्षिण एशिया में आतंकवाद और अस्थिरता बढ़ रही है। रक्षा विशेषज्ञ राहुल सिंह ने कहा, "तुलसी गबार्ड की यात्रा और इस बैठक से यह स्पष्ट होता है कि भारत और अमेरिका क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बांग्लादेश और खालिस्तानी मुद्दे इन प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।"
तुलसी गबार्ड और अजीत डोभाल की यह बैठक न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि दक्षिण एशिया में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने का प्रयास भी है। बांग्लादेश में अस्थिरता और खालिस्तानी अलगाववाद जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, दोनों देशों ने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए मजबूत सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई है।