
नई दिल्ली में उच्च स्तर पर भारतीय सेना और वायुसेना के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों के अधिग्रहण पर चर्चा होने जा रही है।
27 मार्च 2025। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की सेना और वायुसेना 250 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदने की योजना बना रही हैं। इंडिया टुडे टीवी के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने इन उन्नत मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की मंजूरी के बाद इन मिसाइलों को मौजूदा सैन्य इकाइयों में शामिल किया जाएगा और रेगिस्तानी तथा ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा।
🚀 ब्रह्मोस मिसाइल: भारत-रूस की संयुक्त पहल
ब्रह्मोस एयरोस्पेस 2005 में भारत और रूस के संयुक्त उद्यम के रूप में शुरू हुआ था। इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की इसमें 50.5% हिस्सेदारी है, जबकि रूसी एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया की 49.5% हिस्सेदारी है।
ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना की ताकत का अहम हिस्सा बन चुकी है। इसे जमीन, समुद्र और वायु प्लेटफॉर्म से दुश्मन के ठिकानों पर उच्च-सटीकता वाले हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है।
🚀 बढ़ती मारक क्षमता
शुरुआत में ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किमी थी, लेकिन लगातार अपग्रेड के चलते यह बढ़ती गई। 2023 में, भारतीय वायु सेना ने 450 किमी की विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसे सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट पर तैनात किया गया था।
हालिया रिपोर्टों के अनुसार, अब इस मिसाइल की मारक क्षमता 800 किमी तक बढ़ा दी गई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना और वायुसेना ने अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए प्रस्ताव भी रखा है, जो भारतीय नौसेना के वर्तमान ऑर्डर का ही विस्तार होगा।
🚀 भारत-रूस रक्षा सहयोग
इस घटनाक्रम के पीछे भारत और रूस के बीच फरवरी में हुए नए रक्षा समझौते की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। यह समझौता सैन्य रसद को सुगम बनाने और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए किया गया था।
पिछले महीने एयरो इंडिया कार्यक्रम में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस को "दीर्घकालिक और विश्वसनीय रक्षा भागीदार" बताया था।
भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातकों में से एक है, जहां रूस उसकी प्रमुख रक्षा आपूर्ति का हिस्सा रहा है। भारत को Su-30MKI फाइटर जेट और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे एडवांस हथियार रूस की तकनीकी साझेदारी के तहत मिले हैं।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत अब रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर जोर दे रहा है। निजी क्षेत्र के सहयोग से भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल की हैं।