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भारत: सेमीकंडक्टर क्षेत्र में नया अध्याय

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 1851

7 अगस्त 2024। भारत ने वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में अपनी पैठ मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश की प्रमुख कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने असम में 3.2 बिलियन डॉलर के नए सेमीकंडक्टर प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से न सिर्फ 27,000 नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगी।

यह प्लांट स्थानीय रूप से विकसित तकनीकों का उपयोग करते हुए प्रतिदिन 48 मिलियन से अधिक चिप्स का उत्पादन करेगा। इन चिप्स का उपयोग ऑटोमोबाइल, मोबाइल डिवाइस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में किया जाएगा। भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने इस परियोजना को देश के लिए गेम-चेंजर बताया है।

पूर्वोत्तर को मिलेगा बड़ा बढ़ावा
यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह क्षेत्र रोजगार के अवसर पैदा करने में देश के अन्य हिस्सों से पिछड़ा हुआ है। जातीय संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता, भौगोलिक अलगाव और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद, इस क्षेत्र को अब एक नई पहचान मिल रही है।

टाटा के चेयरपर्सन एन. चंद्रशेखरन ने इस परियोजना के लिए भूमि पूजन समारोह में कहा कि इस सुविधा के खुलने पर 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000 से 13,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। कंपनी ने इस परियोजना के लिए पहले ही लगभग 1,000 स्थानीय लोगों को काम पर रख लिया है।

भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षा
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। सरकार का लक्ष्य भारत को दुनिया के अग्रणी चिप उत्पादकों में से एक बनाना है। टाटा का यह प्लांट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न सिर्फ भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा बल्कि वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगा।

टाटा का सेमीकंडक्टर प्लांट भारत के लिए एक नई शुरुआत है। यह प्लांट न सिर्फ भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र को मजबूत करेगा बल्कि पूर्वोत्तर भारत के विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह परियोजना दिखाती है कि भारत वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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