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पुस्तकालयों को समाज का अभिन्न हिस्सा बनाना अनिवार्य: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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Location: उज्जैन                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 1924

उज्जैन: सूचना प्रौद्योगिकी के युग में पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण, स्वचालन और डिजिटलीकरण की आवश्यकता पर बल
22 अगस्त 2024। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि बदलते शैक्षणिक और सामाजिक परिवेश में पुस्तकालयों को समाज का अभिन्न हिस्सा बनाना जरूरी है। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में "बदलते शैक्षणिक एवं सामाजिक परिवेश में लाइब्रेरी की भूमिका और चुनौतियां" विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को वर्चुअली संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तकालयों के स्वचालन, नेटवर्किंग, और ग्रीन लाइब्रेरी जैसी अवधारणाओं पर विचार-विमर्श आवश्यक है। इससे पुस्तकालयों की उपयोगिता बनाए रखते हुए उन्हें समसामयिक शिक्षा प्रणाली में और अधिक प्रासंगिक बनाया जा सकेगा।

बैंक धन का और पुस्तकालय ज्ञान का संरक्षण करते हैं: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुस्तकालयों की तुलना बैंकों से करते हुए कहा कि जिस प्रकार बैंक समाज और राष्ट्र की धन संपदा का संरक्षण और संवर्धन करते हैं, उसी प्रकार पुस्तकालय ज्ञान का संरक्षण और प्रसार करते हैं। भारतीय इतिहास में नालंदा, विक्रमशिला, और तक्षशिला के पुस्तकालय ज्ञान के भंडार रहे हैं, जिनका विदेशी आक्रांताओं द्वारा विनाश किया गया। उज्जैन हमेशा से धर्म, आध्यात्म, और विज्ञान का केंद्र रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि उज्जैन भविष्य में ग्रीनविच की तरह भारत का गौरव बनेगा।

विक्रम विश्वविद्यालय: प्रदेश का पहला पुस्तकालय विज्ञान संस्थान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने पुस्तकालय विज्ञान में प्रशिक्षण देना शुरू किया था। सिंधिया ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, अपने विशाल और दुर्लभ पाण्डुलिपियों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है। भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक माने जाने वाले पद्मश्री डॉ. रंगनाथन भी इस विश्वविद्यालय के पहले विजिटिंग प्रोफेसर थे। मुख्यमंत्री ने सभी विषय-विशेषज्ञों और छात्रों को संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।

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