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कैलाश विजयवर्गीय का बयान: क्या निशाने पर शिवराज सिंह चौहान हैं या प्रदेश की आर्थिक स्थिति?

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 2158

13 सितंबर 2024। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के हालिया बयान ने मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। उनका बयान प्रदेश की आर्थिक स्थिति और राज्य में चलाई जा रही लोकलुभावन योजनाओं के संदर्भ में था, लेकिन इसके संकेत कहीं गहरे राजनीतिक अर्थ लिए हुए हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या विजयवर्गीय का निशाना सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर था, या उन्होंने प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के मुद्दे को गंभीरता से उठाया है?

कैलाश विजयवर्गीय का विवादित बयान: सत्ता और योजनाओं पर प्रहार
कैलाश विजयवर्गीय ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा, "सिर्फ कुर्सी प्राप्त करने के लिए आप राज्य के कपड़े उतार दें, यह तो नहीं होना चाहिए।" उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि वे राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं और कुछ योजनाओं के परिणामस्वरूप राज्य पर आर्थिक संकट गहरा गया है। उन्होंने इशारों में यह भी कहा कि कुछ योजनाएं सिर्फ सत्ता बचाने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं, जिनका वास्तविक लोकहित से कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने कहा, "कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जो लोकहित में नहीं होते, लेकिन सरकार इन्हें इसलिए लागू करती है ताकि अगला चुनाव जीता जा सके। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।" विजयवर्गीय ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह ऐसी योजनाओं के विरोध में हैं जो सिर्फ लोकप्रियता हासिल करने के लिए शुरू की जाती हैं, जबकि उनका उद्देश्य राज्य के हितों से ज्यादा राजनीतिक लाभ होता है।

क्या लाड़ली बहना योजना पर साधा निशाना?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजयवर्गीय का यह बयान सीधे तौर पर शिवराज सिंह चौहान की "लाड़ली बहना योजना" की ओर इशारा करता है। यह योजना महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन विजयवर्गीय का मानना है कि ऐसी योजनाएं राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही हैं।

राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, "विजयवर्गीय की पीड़ा उनके विभाग के बजट से भी जुड़ी है। लाड़ली बहना योजना में अधिकतर बजट चला गया, जिससे अन्य विभागों को नुकसान उठाना पड़ा। उनका बयान इस बात का संकेत है कि वे इस योजना के खिलाफ हैं और इसे सिर्फ सत्ता बचाने का एक तरीका मानते हैं।"

विजयवर्गीय ने इससे पहले भी शिवराज सिंह चौहान पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है। उन्होंने एक बार खुद को फिल्म "शोले" के ठाकुर की तरह बताया था, जो शक्तिहीन है। उस समय उनके इस बयान से भी काफी विवाद हुआ था, लेकिन अब जब वे फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं, तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह अदावत अब भी जारी है?

शिवराज सिंह और कैलाश विजयवर्गीय के बीच बढ़ती दरार
कैलाश विजयवर्गीय और शिवराज सिंह चौहान, दोनों ही भाजपा के दिग्गज नेता हैं, लेकिन दोनों के बीच की दूरी अब किसी से छिपी नहीं है। शिवराज सिंह चौहान लंबे समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उनकी छवि एक लोकप्रिय नेता की रही है। हालांकि, विजयवर्गीय ने कभी भी खुलकर शिवराज का विरोध नहीं किया, लेकिन उनके बयान अक्सर इस ओर इशारा करते हैं कि वे शिवराज के कुछ फैसलों से असहमत हैं।

जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे, तब विजयवर्गीय ने कहा था कि वे "शोले के ठाकुर" की तरह हैं, जो सब कुछ देख रहा है, लेकिन कुछ कर नहीं सकता। उस समय उनके इस बयान ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं और इससे यह स्पष्ट हुआ था कि विजयवर्गीय अपने विभाग के कामकाज से संतुष्ट नहीं थे। अब जब शिवराज केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं और विजयवर्गीय प्रदेश की राजनीति में वापस आ गए हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक समीकरण कैसे बदलता है।

लोकलुभावन योजनाओं पर सवाल
कैलाश विजयवर्गीय का ताजा बयान केवल शिवराज सिंह चौहान तक सीमित नहीं है। यह उन सभी राजनीतिक नेताओं और सरकारों पर सवाल खड़ा करता है जो सत्ता में बने रहने के लिए लोकलुभावन योजनाएं लाते हैं। विजयवर्गीय ने कहा, "लोकप्रिय होने के लिए सरकारें कुछ फैसले लेती हैं जो लोकहित में नहीं होते, लेकिन वे इस उम्मीद में होते हैं कि वे अगले चुनाव में जीत हासिल कर सकें।"

विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि ऐसी योजनाओं का विरोध होना चाहिए और समाज के समझदार वर्ग को इस पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। उनका मानना है कि ऐसी योजनाओं से न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, बल्कि इससे जनता को भी नुकसान उठाना पड़ता है।

विजयवर्गीय के बयान का राजनीतिक प्रभाव
विजयवर्गीय के इस बयान से भाजपा के अंदरूनी समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। वे पार्टी के उन चंद नेताओं में से हैं जो अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, उनका यह बयान आगामी विधानसभा चुनावों से पहले आया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या भाजपा के भीतर कोई बड़ा बदलाव होने जा रहा है?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजयवर्गीय का यह बयान उनके खुद की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है। वे प्रदेश की राजनीति में फिर से प्रमुख भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए वे शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रिय योजनाओं को निशाना बना रहे हैं।

हालांकि, भाजपा नेतृत्व ने अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी हलकों में इस बयान को लेकर हलचल मच गई है।

विवादित बयानों का इतिहास
कैलाश विजयवर्गीय पहले भी विवादित बयान देते रहे हैं। इसी चुनावी दौर में उन्होंने कहा था, "जो भारत माता की जय बोलेगा, वह अपना भाई है और उसके लिए हम जान भी दे सकते हैं, लेकिन जो भारत माता के खिलाफ बोलेगा, उसकी जान लेने में भी हम पीछे नहीं हटेंगे।" इस बयान ने भी काफी विवाद खड़ा किया था, लेकिन विजयवर्गीय अपनी बातों पर अडिग रहते हैं और किसी भी राजनीतिक दबाव में आने के लिए तैयार नहीं होते।

इसके अलावा, व्यापमं घोटाले में फंसे दिवंगत नेता लक्ष्मीकांत शर्मा को भी विजयवर्गीय ने क्लीन चिट दी थी। उन्होंने कहा था, "व्यापमं कांड में आरोपी रहे शर्मा निर्दोष थे, फिर भी उन्हें जेल जाना पड़ा। यह पीड़ा मेरे मन में हमेशा रहेगी।" विजयवर्गीय का यह बयान भी उस समय काफी चर्चा में रहा था और इससे स्पष्ट होता है कि वे अपनी पार्टी की नीतियों और फैसलों के खिलाफ भी आवाज उठाने से नहीं कतराते।

क्या आगे कोई बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होगा?
कैलाश विजयवर्गीय का ताजा बयान राज्य की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला सकता है। शिवराज सिंह चौहान और उनके बीच की दरार अब भी बरकरार है और दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच भी इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

जहां एक ओर विजयवर्गीय ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रिय योजनाओं पर भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रहार किया है। अब यह देखना बाकी है कि भाजपा के नेतृत्व में इस बयान का क्या असर पड़ता है और क्या विजयवर्गीय की यह बेबाकी उन्हें पार्टी के भीतर एक नई भूमिका दिला सकती है।

राजनीतिक विश्लेषक इस बयान को विजयवर्गीय के प्रदेश की राजनीति में फिर से मजबूत दावेदारी के रूप में देख रहे हैं। यह बयान न केवल उनकी पार्टी के भीतर, बल्कि विपक्ष के लिए भी एक चेतावनी हो सकता है कि वे अब पूरी तरह से सक्रिय हैं और आगामी चुनावों में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

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