
21 सितंबर 2024। डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने करीब 9 महीने हो चुके हैं। हालांकि, इनमें से 4 महीने लोकसभा चुनाव की तैयारियों में गुजर गए, जिसके चलते वो अपने मुख्यमंत्री पद के दायित्वों को पूरी तरह निभा नहीं सके। लेकिन इन शेष 5 महीनों में भी, राज्य की खराब आर्थिक स्थिति, प्रशासनिक व्यवस्था, और केंद्र सरकार के दबाव ने उनकी राह में कई चुनौतियाँ खड़ी कर दीं।
इन्हीं चुनौतियों का सामना करते हुए, मुख्यमंत्री मोहन यादव अब एक नई पहल लेकर आ रहे हैं - जीरो बेस्ड बजट। इस तकनीक के तहत, 2025-26 का बजट पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि नई नीतियों और वास्तविक आवश्यकताओं के आधार पर तैयार किया जाएगा।
क्या है जीरो बेस्ड बजट?
जीरो बेस्ड बजट एक आधुनिक वित्तीय योजना है, जिसमें पूर्व बजट या पिछले साल के खर्च को आधार नहीं माना जाता। बल्कि, हर वर्ष को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है, जहां सभी खर्चों का नए सिरे से मूल्यांकन किया जाता है। इसके जरिए भविष्य की आवश्यकताओं, संभावनाओं और योजनाओं के अनुसार धन आवंटित किया जाता है।
पहले, पारंपरिक बजट के तहत पिछले वर्षों के खर्चों को देखते हुए ही नए बजट तैयार किए जाते थे, लेकिन इस नई तकनीक में खर्चों का आकलन किया जाएगा और वास्तविक आवश्यकताओं पर आधारित योजनाएं बनाई जाएंगी।
प्रशासनिक तैयारियाँ और चुनौतियाँ
सूत्रों के अनुसार, इस कदम को लेकर मध्य प्रदेश के मंत्रालय, वल्लभ भवन में चर्चा तेज हो गई है। अधिकारी इस नई बजट प्रणाली को लागू करने के तरीकों पर मंथन कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बजट प्रणाली का क्या असर पड़ेगा?क्या यह राज्य की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए फायदेमंद साबित होगी, या फिर यह सिर्फ एक प्रयोग भर रह जाएगा।
मुख्यमंत्री यादव के इस कदम से सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी दबाव बढ़ेगा, क्योंकि अब सही विश्लेषण और योजनाओं पर आधारित बजट ही स्वीकार्य होगा।
डॉ. मोहन यादव के इस नये फैसले के पीछे की मंशा स्पष्ट है?एक मजबूत और पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था बनाना। लेकिन क्या जीरो बेस्ड बजट मध्य प्रदेश के आर्थिक और राजनीतिक हितों के लिए सफल सिद्ध होगा, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। उम्मीद है कि यह नई नीति राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त और प्रशासनिक रूप से अधिक जवाबदेह बनाएगी।