
21 सितंबर 2024। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बलात्कार के एक मामले को खारिज कर दिया है, जिसमें एक व्यक्ति पर शादी का वादा कर संबंध बनाने का आरोप था। अदालत ने कहा कि "शादी का वादा अगर सद्भावना से किया गया है, तो उसे पूरा न करने को बलात्कार नहीं माना जा सकता।"
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि शादी का झूठा वादा और एक सद्भावना से किया गया वादा, जिसे बाद में किसी कारणवश पूरा नहीं किया गया, दोनों में अंतर होता है। इस विशेष मामले में, दोनों पक्ष 2009 से 2011 तक सहमति से संबंध में थे, लेकिन पीड़िता ने दावा किया कि उनका रिश्ता शादी के आश्वासन पर आधारित था।
कोर्ट की टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी रिश्ते में यदि दोनों पक्ष सहमति से जुड़े हों और शादी का वादा वास्तविक हो, तो इसे धोखा या बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि "यह साबित नहीं हो सका कि आरोपी ने पीड़िता को शादी का झूठा वादा देकर संबंध बनाए।"
पीड़िता का दावा था कि उसने संबंधों में इसलिए प्रवेश किया क्योंकि उसे शादी का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, अदालत ने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला बलात्कार की परिभाषा में नहीं आता।
फैसला:
अदालत ने इस केस को खारिज कर यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि "शादी का वादा अगर पूरी नीयत से किया गया है, लेकिन किन्हीं कारणों से पूरा नहीं हो पाया, तो उसे धोखा नहीं कहा जा सकता।"
यह फैसला ऐसे मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है, जहां सहमति से बने रिश्ते में शादी का वादा निभाया नहीं जा सका हो।