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मध्य प्रदेश के सांसदों को नई जिम्मेदारियां: दिग्विजय सिंह बने महिला, शिक्षा और खेल मामलों की समिति के प्रमुख

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 3807

भोपाल: 29 सितंबर 2024: मोदी सरकार ने संसदीय स्थायी समितियों (पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटीज़) का पुनर्गठन करते हुए मध्य प्रदेश के 20 सांसदों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी हैं। इन सांसदों में से कुछ को समितियों का नेतृत्व दिया गया है, जबकि अन्य को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। सबसे अहम नियुक्तियों में से एक है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की, जिन्हें महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

मध्य प्रदेश के सांसदों को नई जिम्मेदारियां
मध्य प्रदेश से कुल 40 सांसद (29 लोकसभा और 11 राज्यसभा सांसद) हैं। इनमें से मोदी सरकार ने 20 सांसदों को विभिन्न संसदीय समितियों में शामिल किया है। यह समितियां संसद के विभिन्न विभागों से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करती हैं और अपनी रिपोर्ट तैयार करके संसद को सौंपती हैं। खास बात यह है कि कुछ सांसदों को इनमें नेतृत्व की भूमिका दी गई है, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

दिग्विजय सिंह को प्रमुख भूमिका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस समिति में कुल 31 सांसद हैं, जिनमें से 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से हैं। इस समिति का गठन देश में महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा की गुणवत्ता, युवाओं की समस्याओं और खेल क्षेत्र के विकास जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा और समाधान खोजने के लिए किया गया है।

अन्य सांसदों की भूमिका
सुमित्रा बाल्मीकि, राज्यसभा सांसद, को दो महत्वपूर्ण समितियों में सदस्यता दी गई है। वह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण से जुड़ी समिति के साथ-साथ सामाजिक न्याय समिति की सदस्य भी बनाई गई हैं। वह अकेली सांसद हैं, जिन्हें दो समितियों में स्थान दिया गया है।

वीडी शर्मा, मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और सांसद, को संचार और आईटी समिति में सदस्य बनाया गया है। यह समिति देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार सेवाओं और आईटी सेक्टर से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करती है।

कविता पाटीदार, राज्यसभा सांसद, को विदेश मामलों की संसदीय समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह समिति भारत के कूटनीतिक संबंधों और विदेश नीति पर अपनी सिफारिशें देती है।

अशोक सिंह, सांसद, को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति का सदस्य बनाया गया है। यह समिति देश के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों, नीतियों और योजनाओं पर काम करती है।

शिवमंगल सिंह, मुरैना सांसद, को रसायन और उर्वरक समिति में शामिल किया गया है। यह समिति कृषि और रसायन उद्योग के मुद्दों पर विचार करती है।

माया नरोलिया, सांसद, को शहरी विकास और आवास समिति का सदस्य बनाया गया है, जो शहरी योजना और आवासीय विकास की चुनौतियों पर काम करती है।

दर्शन सिंह चौधरी, होशंगाबाद सांसद, को महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है, जहां वह दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में काम करेंगे।

संसदीय समितियों का महत्व
संसदीय समितियां संसद द्वारा गठित की जाती हैं और इनका मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करना होता है। ये समितियां संसद को सुझाव और सिफारिशें पेश करती हैं, जिससे नीतिगत निर्णयों में मदद मिलती है। इन समितियों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है और इनमें 31 सदस्य होते हैं, जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से होते हैं।

संसदीय समितियां दो प्रकार की होती हैं:
तदर्थ समितियां: ये अस्थायी होती हैं और खास मुद्दों पर विचार करने के लिए बनाई जाती हैं। जैसे ही यह समितियां अपना काम पूरा करती हैं, उनका कार्यकाल समाप्त हो जाता है।

स्थायी समितियां: ये समितियां पूरे एक साल के लिए गठित की जाती हैं और इनके तहत विभागों से जुड़े लगातार मुद्दों पर काम किया जाता है।

मध्य प्रदेश के सांसदों का योगदान
मध्य प्रदेश के सांसदों को इन समितियों में शामिल करना राज्य के लिए गर्व की बात है। दिग्विजय सिंह का अध्यक्ष बनना और अन्य सांसदों को महत्वपूर्ण समितियों में शामिल किया जाना यह दर्शाता है कि राज्य के सांसदों का राष्ट्रीय राजनीति और नीतिगत मामलों में महत्वपूर्ण योगदान है। इन जिम्मेदारियों के माध्यम से ये सांसद न केवल अपने संसदीय अनुभव को समृद्ध करेंगे, बल्कि देश की नीतियों और निर्णयों में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

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