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हरियाणा में भाजपा की तिकड़ी: कांग्रेस की उम्मीदों पर फिरा पानी

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 235

भोपाल: 8 अक्टूबर 2024। हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस ने सोचा था कि दस साल के बाद वह फिर से सत्ता में वापसी करेगी, लेकिन जनता के मूड का सही अंदाजा लगाने में चूक गई। परिणामस्वरूप, कांग्रेस को लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

भाजपा ने हरियाणा में सत्ता में बने रहने की अपनी रणनीति को सफलतापूर्वक लागू किया। भाजपा नेतृत्व ने चुनावों से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया और नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी। इस नेतृत्व परिवर्तन से भाजपा को बड़ा फायदा हुआ और वह तीसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने में सफल रही। इसी प्रकार के नेतृत्व परिवर्तन के प्रयोग भाजपा ने अन्य राज्यों में भी किए थे, जहाँ उन्हें सफलता मिली।

हरियाणा में भाजपा की जीत ने मनोहर लाल खट्टर का कद और बढ़ा दिया है, जो लगभग नौ साल तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे। इस जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं में खुशी और उत्साह का माहौल है, जबकि कांग्रेस को यह समझ नहीं आ रहा है कि सभी एक्जिट पोल गलत कैसे साबित हो गए। कांग्रेस को अब अपनी हार स्वीकार करने और आत्ममंथन करने की जरूरत है कि जनता से उनकी दूरी क्यों खत्म नहीं हो रही है।

चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि हरियाणा में भाजपा के पक्ष में पहले से ही एक अंडरकरंट था, जिसे कांग्रेस समझने में नाकाम रही। कांग्रेस को मतगणना के दौरान ही हार के संकेत मिल गए थे, लेकिन उन्होंने एक्जिट पोल पर आंख मूंदकर भरोसा किया, जो अंततः गलत साबित हुआ।

कांग्रेस की हार के कई कारणों में से एक प्रमुख कारण पार्टी के भीतर मतभेद थे। मुख्यमंत्री पद की दावेदार कुमारी शैलजा की टिकट वितरण में उपेक्षा से वह इतनी नाराज हुईं कि दस दिनों तक उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए खुद राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा। हालांकि राहुल गांधी ने मंच पर भूपिंदर सिंह हुड्डा और शैलजा के बीच हाथ मिलवाकर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। कुमारी शैलजा की नाराजगी ने दलित वोट बैंक को कांग्रेस से दूर कर दिया, जो उनके लिए बड़ा झटका साबित हुआ।

इसके अलावा, कांग्रेस ने यह मान लिया था कि किसानों की नाराजगी, अग्निवीर योजना का विरोध, और एंटी-इनकंबेंसी जैसे मुद्दे उनके पक्ष में काम करेंगे। परंतु वह इस हकीकत को समझने में चूक गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता को चुनौती देना अभी भी उनके लिए असंभव है।

हरियाणा में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस को अपनी रणनीतियों और नेतृत्व में सुधार करने की सख्त जरूरत है।

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