
9 अक्टूबर 2024। उज्जैन से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखकर दशहरा के पर्व पर रावण के पुतले का दहन रोकने की मांग की है। यह मांग पूरे देश में मनाए जाने वाले इस पारंपरिक त्योहार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
महाकाल मंदिर के पुजारी और समाज के अध्यक्ष महेश शर्मा का कहना है कि रावण एक विद्वान और भगवान शिव के उपासक थे। उनके अनुसार, रावण का अपमान करना गलत है और हर साल दशहरा पर उनका पुतला जलाया जाना ब्राह्मणों का अपमान है। शर्मा ने यह भी कहा कि अगर पुतले जलाने ही हैं तो उन लोगों के पुतले जलाए जाने चाहिए जो महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अत्याचार करते हैं।
रावण दहन की परंपरा और उसका महत्व
दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान राम ने रावण का वध कर राक्षसों का अंत किया था। रावण के दस सिर थे और वह अस्त्र-शस्त्रों का पारंगत था। अपनी शक्तियों के अहंकार में चूर होकर उसने सीता का अपहरण कर लिया था। राम ने रावण को मारकर सीता को मुक्त कराया था। इसीलिए रावण के पुतले का दहन किया जाता है।
विवाद के कारण
रावण दहन पर रोक लगाने की मांग कई कारणों से विवादित है:
रावण का चरित्र: कुछ लोगों का मानना है कि रावण एक विद्वान था और उसे गलत तरीके से चित्रित किया गया है।
धार्मिक भावनाएं: रावण दहन हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है और इसे रोकने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।
सामाजिक संदेश: रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे रोकने से यह संदेश कमजोर पड़ सकता है।
आगे क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री इस मांग पर क्या निर्णय लेते हैं। अगर रावण दहन पर रोक लगती है तो इससे दशहरे के त्योहार का स्वरूप बदल सकता है। यह भी देखना होगा कि समाज के अन्य लोग इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।