
25 अक्टूबर 2024। भारत की 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या, आधार, देश के डिजिटल परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 2009 में अपनी स्थापना के बाद से, आधार ने पहचान सत्यापन और सेवा वितरण के लिए भारत के दृष्टिकोण को बदल दिया है।
एक विश्व स्तरीय नवाचार
2018 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल रोमर ने आधार को वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचारों में से एक करार दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आधार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी सरकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया है।
जन जीवन में आधार का प्रभाव
पारदर्शिता और जवाबदेही: आधार ने सरकारी सेवाओं के वितरण में पारदर्शिता बढ़ाई है, भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को कम किया है।
वित्तीय समावेशन: आधार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के साथ मिलकर लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान की है।
कल्याणकारी योजनाओं का लाभ: आधार ने सुनिश्चित किया है कि सरकारी सब्सिडी और लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचें।
स्वास्थ्य सेवाएं: आधार का उपयोग स्वास्थ्य रिकॉर्ड रखने और दवा वितरण में किया जाता है।
शिक्षा: आधार छात्रों की पहचान और स्कूल में दाखिले की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है।
चुनौतियाँ और आलोचना
हालांकि आधार ने कई लाभ प्रदान किए हैं, लेकिन कुछ चिंताएं भी हैं:
गोपनीयता चिंताएं: कुछ लोगों का मानना है कि आधार व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग का खतरा पैदा करता है।
तकनीकी चुनौतियाँ: कभी-कभी आधार सर्वर में गड़बड़ी होती है, जिससे सेवाएं प्रभावित होती हैं।
आगे का रास्ता
आधार की सफलता के बावजूद, इसे और बेहतर बनाने की आवश्यकता है। सरकार को गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करने और तकनीकी मुद्दों का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए। साथ ही, आधार को नए क्षेत्रों जैसे कि कृषि और रोजगार में भी लागू करने की संभावना है।
आधार भारत के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके प्रभावी उपयोग से भारत को एक अधिक समावेशी और समृद्ध राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी।