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भारत की रक्षा में आत्मनिर्भरता का नया दौर

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 3201

2 नवंबर 2024। भारत, जो विश्व का चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्चकर्ता है, अब विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम उठा रहा है। वायुसेना मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) का मानना है कि इससे भारत को वैश्विक सैन्य ताकतों में मजबूती मिलेगी।

वर्षों से, भारत ने सैन्य उपकरणों के लिए सोवियत संघ (अब रूस) पर निर्भरता बनाए रखी थी, जिसके बाद फ्रांस, इज़राइल, और 2008 से अमेरिका ने भी प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता का स्थान हासिल किया।

हालांकि, आत्मनिर्भरता के प्रयासों में भारत को महत्वपूर्ण तकनीकों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हाल के दशकों में "मेक इन इंडिया" अभियान के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए निवेश को बढ़ाया गया है।

वायु सेना की आवश्यकताएँ
भारत वर्तमान में 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन के साथ काम कर रहा है, जबकि इसे 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है। रूसी मिग-21 स्क्वाड्रन 2025 तक बंद होने वाला है। भारत के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस का उत्पादन गति पर है और 180 नए तेजस विमानों का ऑर्डर दिया गया है। इसके साथ ही, भारत का उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) परियोजना भी प्रारंभिक चरण में है, जिसे 2035 तक वायुसेना में शामिल किया जा सकता है।

LCH Prachand on flying display in front of general public at Aero India in Bangalore India

LCH Prachand on flying display in front of general public at Aero India in Bangalore India on February 16, 2023. - KuntalSaha/GettyImages


चीन से मुकाबले की तैयारी
चीन के पास पहले से ही 300 पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं, और उसने 2035 तक 1,000 विमान बनाने का लक्ष्य रखा है। पाकिस्तान भी चीन और तुर्की से ऐसे लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रहा है। इस चुनौती का सामना करने के लिए भारत अपनी 5वीं पीढ़ी के विमान और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी ला रहा है।

युद्धक हेलीकॉप्टर और ड्रोन
भारत में विकसित 'प्रचंड' हल्के युद्धक हेलीकॉप्टर का भी सेना में सम्मिलन शुरू हो गया है। इसके साथ ही, स्वदेशी हल्के उपयोगिता हेलीकॉप्टर (एलयूएच) और मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) पर भी काम जारी है। यूएवी और ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और भारत में लगभग 100 ड्रोन स्टार्टअप उभर चुके हैं, जो आधुनिक और किफायती ड्रोन तकनीक पर काम कर रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
भारत ने रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का भी अधिग्रहण किया है, जो भारत की हवाई सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा रहा है। नौसेना और सेना भी व्यापक संख्या में यूएवी और अन्य विमानों की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, भारतीय नौसेना में मिग-29के लड़ाकू विमानों को बढ़ाने के लिए और 26 राफेल मरीन जेट का ऑर्डर देने की भी योजना है।

भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यह न केवल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा, बल्कि भारत को एक सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में भी सहायक सिद्ध होगा।



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