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3 लाख से अधिक वन अधिकार दावे मान्य, मप्र में वन अधिकार अधिनियम 2006 का क्रियान्वयन

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Location: भोपाल                                                 👤Posted By: prativad                                                                         Views: 465

भोपाल: 11 नवंबर 2024। मध्य प्रदेश में जनवरी 2008 से वन अधिकार अधिनियम 2006 का सुचारू रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है। अब तक, प्रदेश में 2 लाख 75 हजार 352 से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार दावों को मान्यता मिल चुकी है। इसके अलावा, 29 हजार 996 सामुदायिक वन अधिकार दावों को भी मान्यता प्रदान की गई है। वन अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दावों का निर्धारित पात्रता के अनुसार विधिक प्रक्रिया से निराकरण किया जा रहा है।

792 वन ग्राम हुए राजस्व ग्राम
वन अधिकार अधिनियम के तहत, प्रदेश में अब तक 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किया जा चुका है। इसके लिए संबंधित जिला कलेक्टरों द्वारा विधिवत अधिसूचनाएं जारी की गई हैं।

सभी जिलों का एफआरए एटलस तैयार
केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के निर्देशानुसार, प्रदेश के सभी जिलों का एफआरए एटलस तैयार किया गया है। यह एटलस सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से सामुदायिक अधिकारों को कानूनी मान्यता प्रदान की जा रही है।

शासकीय योजनाओं का लाभ
मध्य प्रदेश में सभी वन अधिकार पत्र धारकों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। अब तक 55 हजार 357 वन अधिकार पत्र धारकों को कपिलधारा कूप, 58 हजार 796 को भूमि सुधार/मेंढ़-बंधान, 61 हजार 54 को पक्का आवास/प्रधानमंत्री आवास, 1 लाख 86 हजार 131 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ दिया गया है। इसके अलावा, 21 हजार 514 वन अधिकार पत्र धारकों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना से भी जोड़ा गया है।

क्या है वन अधिकार अधिनियम
वन अधिकार अधिनियम 2006 केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इसका उद्देश्य वन क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों की रक्षा करना है। यह अधिनियम वनवासियों को उनके पुश्तैनी निवास और कृषि भूमि पर मालिकाना हक प्रदान करता है। इसके अलावा, उन्हें जंगलों के संसाधनों जैसे लकड़ी, फल, शहद, जड़ी-बूटियों आदि के संग्रहण का अधिकार भी दिया गया है। सामुदायिक स्तर पर, वे जंगल की भूमि और अन्य संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन कर सकते हैं।



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