
26 फरवरी 2025। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव की आराधना और उनकी दिव्य शक्ति के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्त रात्रि जागरण, अभिषेक, उपवास और मंत्र जाप कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
पंचाक्षर मंत्र की आध्यात्मिक महत्ता
भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र "नमः शिवाय" को मोक्षदायी और कल्याणकारी माना जाता है। इस मंत्र के पांच अक्षर – "न", "म", "शि", "वा", और "य" पंचमहाभूतों अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के प्रतीक हैं। इन तत्वों से समस्त सृष्टि का निर्माण हुआ है, और भगवान शिव स्वयं इनका पर्याय माने जाते हैं।
शिव भक्तों के लिए पंचाक्षर मंत्र का जप विशेष महत्व रखता है। यह न केवल आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि मन को शांति, आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वरीय अनुभूति भी प्रदान करता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जो भी श्रद्धा और भक्ति से इस मंत्र का जाप करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
भगवान शिव का शाश्वत सत्य
भगवान शिव को 'अद्वितीय', 'निराकार' और 'परम सत्य' माना जाता है। वे न केवल संहारक हैं बल्कि सृजन और पालन की भूमिका भी निभाते हैं। शिव तांडव, सृष्टि के नित्य चक्र का प्रतीक है, जिससे यह सिद्ध होता है कि परिवर्तन ही संसार का शाश्वत सत्य है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव की आराधना हमें यह सिखाती है कि जीवन में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है और हर कठिनाई में धैर्य एवं संयम रखना चाहिए।
महाशिवरात्रि पर शिव साधना और महत्व
महाशिवरात्रि के दिन भक्तजन भगवान शिव की पूजा विशेष विधि से करते हैं। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक दूध, जल, शहद, बेलपत्र, धतूरा और चंदन से किया जाता है। रात्रि भर शिव नाम का कीर्तन और मंत्र जाप किया जाता है, जिससे आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता का अनुभव किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस रात जागरण करने से पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक पहुंचने और भगवान शिव की भक्ति में लीन होने का एक दिव्य अवसर है। पंचाक्षर मंत्र "नमः शिवाय" का जाप हमें भगवान शिव के शाश्वत सत्य से जोड़ता है और हमें जीवन में शांति, शक्ति और मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। इस महाशिवरात्रि, आइए हम सभी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की उपासना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को पवित्र और उन्नत बनाएं।
ॐ नमः शिवाय!