2 दिसम्बर 2016, पश्चिम बंगाल के विभिन्न टोल प्लाजाओं पर अचानक सेना की तैनाती को लेकर राज्य और केंद्र में राजनीतिक बवाल मच गया है। इस मुद्दे को लेकर जहां सरकार ने सफाई दी है वहीं सेना ने भी इसे रूटिन एक्सरसाइज बताया है और ममता बनर्जी के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।
मेजर जनरल सुनील यादव ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं और हम इन्हें नकारते हैं। यह एक एक्सरसाइज थी जिसे ऑपरेशनल पर्पज से किया गया था। उन्होंने बताया कि ईस्टर्न कमांड पर सेना स्थानीय पुलिस के साथ सभी बड़े एंट्री पॉइंटस डाटा कलेक्शन एक्सरसाइज चला रही है। इसमें सभी राजयों के बड़े एंट्री पॉइंट्स पर लोड कैरियर्स की उपलब्धता पता की जाती है।
उन्होंने आगे बताया कि यह एक्सरसाइज सभी उत्तर-पूर्व के राज्यो में डाटा कलेक्शन के लिए होती जिसमें असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्कीम शामिल हैं। पूरे इलाके में हमारे इस तरह के 80 डाटा कलेक्शन सेंटर्स स्थापित किए गए हैं। हर पॉइंट पर तैनात पांच से छ सैनिक बिना हथियारों के होते हैं। वो सिर्फ वहां भारी वाहनों का डाटा कलेक्शन करते हैं। यह एक सालाना एक्सरसाइज है जो हर साल की जाती है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल में टोल बूथों पर सेना की तैनाती को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सतर्क हो गई। इसके बाद उन्होंने राज्य सचिवालय नवान्न पर डेरा डालते हुए इसे इमरजेंसी जैसे हालात करार दे दिया। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर स्थिति है और वो तब तक सचिवालय पर रहेंगी जब तक सेना नहीं हटती। हालांकि उसके बाद कई जगहों से सेना हटा ली गई थी।
जानकारी के अनुसार ममता ने गुरुवार को इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया।ममता ने कहा कि राज्य को अंधकार में रखकर कुछ जगहों पर सेना के जवान तैनात कर दिए गए हैं। इस संबंध में मुख्य सचिव बासुदेव बनर्जी केंद्र को पत्र लिखेंगे। वह खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से संपर्क कर इसकी जानकारी देंगी। ममता ने सवाल किया कि सिर्फ बंगाल में ही इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही? दूसरे राज्यों में ऐसा क्यों नहीं देखने को मिल रहा? यह संघीय ढांचे पर प्रहार है। नवान्न संवेदनशील इलाका है। उसके पास स्थित विद्यासागर सेतु पर इस तरह सेना की तैनाती ठीक नहीं है। कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के कहने पर भी सेना नहीं हट रही। जब तक सेना नहीं हटेगी, तब तक वे भी नवान्न में डटी रहेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कौन सी स्थिति पैदा हो गई है कि केंद्र राज्य सरकार को सूचित करने की भी जरूरत नहीं समझी। संघीय ढांचे को ध्वस्त किया जा रहा है। आपातकाल लागू करने की स्थिति में भी राष्ट्रपति को इसके बारे में बताना पड़ता है। कोई बड़ी आपदा या दंगा होने पर राज्य सरकार सेना की मदद मांगती है लेकिन सामान्य स्थिति में सेना की कोई जरूरत नहीं पड़ती। आज बंगाल में सेना उतारी गई, कल बिहार, यूपी और तमिलनाडु समेत अन्य राज्यों में सेना उतरेगी। सभी राज्यों को इसके बारे में जानने की जरूरत है। यह तो घोषित आपातकाल से भी खतरनाक है। यह बहुत गंभीर मामला है।
वहीं दूसरी तरफ सेना और कोलकाता में रक्षा मंत्रालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विंग कमांडर एसएस बिर्दी ने कहा कि यह एक वार्षिक अभ्यास कार्यक्रम है, जो हर साल सुरक्षा के लिहाज से पूरे देश में अहम सड़कों व हाइवे पर किया जाता है। इसके तहत सेना सड़कों की वार्षिक क्षमता का आंकड़ा जुटाती हैं जिससे आपातकालीन स्थिति में काम करने में आसानी हो। यह तीन दिवसीय अभ्यास शुक्रवार को भी जारी रहेगा।
सेना के ईस्टर्न कमांड ने ट्वीट कर जानकारी दी कि यह अभ्यास पश्चिम बंगाल पुलिस की जानकारी में है और उनके तालमेल के साथ चल रहा है। कमांड के इस ट्वीट का जवाब देते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया है और कहा है कि प्रदेश सरकार की अनुमति लिए बगैर राज्य के ज्यादातर इलाकों में सेना तैनात की गई है
ममता बनर्जी के सभी आरोप बेबुनियाद - सेना
Place:
कोलकाता 👤By: DD Views: 18317
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