
21 दिसम्बर 2016, आगामी शिक्षा सत्र से मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पैटर्न पर पुस्तकों से पढ़ाई कराई जाएगी मगर इनके समय पर छपकर आने में फिलहाल संशय की स्थिति है।
सरकारी स्कूलों के शिक्षक, अध्यापक अब पुराने तरीकों से बच्चों को नहीं पढ़ा पाएंगे। नए सत्र से बच्चों के साथ शिक्षकों को भी पढ़ाई के पुराने पैटर्न में बदलाव कर प्रोजेक्ट वर्क पर फोकस करना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों को पढ़ाई की नई तकनीक सिखाने के लिए ट्रेनिंग देगा, लेकिन उसके पहले इस बदलाव के लिए शिक्षकों को अभी से तैयार रहने को कहा गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में एक समान शिक्षा नीति लागू करने की कवायद के तहत शिक्षा विभाग नए सत्र (2017-18) से सरकारी स्कूलों में विभागीय कोर्स की जगह अब एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) का कोर्स पढ़ाने जा रहा है। एनसीईआरटी के कोर्स को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में कक्षा 1 से 7 और 9वीं से 11वीं में एनसीईआरटी की किताओं से पढ़ाई कराई जाएगी। जबकि दूसरे चरण में अगले शिक्षण सत्र 2018-19 में 8वीं के अलावा 10वीं और 12वीं में भी एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया जाएगा।
म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम में छपेंगी किताबें :-
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी के कोर्स की किताबों की छपाई और निःशुल्क वितरण का काम म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम ही करेगा । स्कूल शिक्षा विभाग के उपसचिव प्रमोद सिंह ने किताबों की छपाई के लिए म.प्र. शासन की ओर से राज्य शिक्षा केन्द्र एनसीईआरटी और निगम के बीच अनुबंध प्रक्रिया को जल्द पूरा करने को कहा है।
मनीष वर्मा, संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय के मुताबिक नए शिक्षण सत्र से सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है । एनसीईआरटी का कोर्स गतिविधि आधारित होते हैं। शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ।
देर से छपेंगी किताबें :-
मध्यप्रदेश के स्कूलों में अगले शिक्षा सत्र से एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने के निर्देश शासन ने दिए हैं। राज्य शिक्षा केन्द्र (आरएसके) और एनसीईआरटी के बीच एक एमओयू भी साइन हुआ है, लेकिन यह किताबें सीधे एनसीईआरटी से खरीदी जाएगी या पाठ्यपुस्तक निगम इन किताबों को छापेगा यह अभी तक तय नहीं हो सका है । इस मामले में पाठ्यपुस्तक निगम के अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि यदि राज्य शिक्षा केन्द्र उन्हें एनसीईआरटी के सिलेबस की सीडी उपलब्ध कराएगा तब ही यह किताबें यहाँ प्रिंट की जा सकेंगी।
शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह ने पिछले दिनों बुक बैंक बनाने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन इसे लेकर भी कोई तैयारी नहर नहीं आ रही है। अगले साल सभी किताबें नई छापी जाएंगी या विज्ञान, गणित एवं वाणिज्य समूह की किताबें छापी जाएंगी। इसे लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। जबकि हर साल दिसम्बर तक किताबों की छपाई की तैयारी शुरू कर दी जाती थी।
राज्य शिक्षा केन्द्र (आरसके) के आदेश के बाद पाठ्यपुस्तक निगम हर साल कक्षा 1 से 12वीं कब करीब 6 करोड़ से अधिक किताबें प्रिंट करता है। किताबें सही समय पर छप सके इसकी तैयारी दिम्बर से ही शुरू कर दी जाती है, लेकिन आलम यह है कि अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि अगले सत्र 2017-18 के लिए कितनी किताबों की छपाई कराना है। ऐसे में अगले सत्र में छात्रों को किताबें समय से मिल सकेंगी या नहीं इस पर भी संशय बना हुआ है।
(डॉ. नवीन आनंद जोशी)