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मध्यप्रदेश के वृध्दजनों की देखभाल का जिम्मा सीएम ने संभाला

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 17851

17 जुलाई 2017। मध्यप्रदेश के वृध्दजनों की देखभाल का जिम्मा अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं सम्हालेंगे। इससे पहले यह दायित्व सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव के पास था।



उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने दस साल पहले पूरे देश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 प्रभावशील किया था। इसके तहत मप्र सरकार ने वर्ष 2009 में मप्र माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियम जारी किये थे। इन नियमों में प्रावधान था कि राज्य के वरिष्ठ नागरिकों की एक राज्य परिषद गठित होगी जो राज्य सरकार को अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर सलाह देगी तथा वरिष्ठ नागरिकों के संबंध में ऐसे कृत्यों का निर्वहन करेगी जैसा कि राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाये। इन नियमों में यह भी प्रावधान था कि राज्य परिषद सामजिक न्याय मंत्री की अध्यक्षता में गठित होगी तथा सामाजिक न्याय, गृह, स्वास्थ्य तथा वित्त विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव, आयुक्त जनसम्पर्क,संचालक पेंशन, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु कार्यरत दो सामाजिक कार्यकत्र्ता तथा पेंशनर संगठनों के दो प्रतिनिधि इस परिषद के सदस्य होंगे। आयुक्त सामाजिक न्याय को परिषद को सदस्य सचिव बनाने का प्रावधान था। लेकिन दस साल बाद उक्त नियमों में बदलाव कर दिया गया है।



अब इस राज्य परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे जबकि सामाजिक न्याय मंत्री, सामाजिक न्याय राज्य मंत्री तथा राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट एक वरिष्ठ नागरिक परिषद के पदेन उपाध्यक्ष होंगे जबकि स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, गृह तथा वित्त विभाग प्रत्येक से राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट एक-एक सदस्य, आयुक्त जनसम्पर्क, आयुक्त/संचालक पेंशन तथा बीमा, चार सामाजिक कार्यकत्र्ता जिनमें एक महिला तथा एक अजाजजा का होगा को तथा पेंशनभोगी संगठन के दो प्रतिनिधि परिषद के सदस्य होंगे जबकि आयुक्त/संचालक सामाजिक न्याय सदस्य सचिव होंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वरिष्ठ नागरिक उसे माना जाता है जो साठ वर्ष या उससे अधिक उम्र का है।



विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण हेतु प्रावधानित राज्य परिषद वृहद स्वरुप की थी जिसमें कई महत्वपूर्ण विभाग थे। ऐसे में सिर्फ एक विभाग के मंत्री द्वारा अध्यक्ष के रुप में निर्णय कराया जाना सरल नहीं था। इसीलिये अब मुख्यमंत्री की पदेन अध्यक्षता में राज्य परिषद होने का प्रावधान किया गया है तथा इसे वरिष्ठजनों के कल्याण हेतु लिये गये निर्णय जल्द क्रियान्वित हो सकेंगे।





- डॉ नवीन जोशी

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