26 अप्रैल 2018। रुके हुए फैसले की तर्ज़ पे आखिकार कांग्रेसी आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान दिग्गज कांग्रेसी नेता कमलनाथ को सौंप दी ही। साथ ही अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया को केम्पेन कमेटी का चेयरमैन बना कर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश भी की गई है।विधानसभा चुनावों के सात महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इनके अलावा गुजरात फॉर्मूले की तर्ज चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर जातिगत ओर क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की भी कोशिश की है।
पिछले एक साल से कांग्रेस का सेनापति बदले जाने की खबरों के बीच आखिरकार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश को कमान कमलनाथ को सौंप दी है।9 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके ओर केंद्र में कई बार मंत्री रहे कमलनाथ के साथ राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद के दूसरे दाबेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया को केम्पेन कमेटी का चेयरमैन बनाया है।इसके अलावा कांग्रेस को गुजरात में जीत के करीब पहुचने वाले चार कार्यकारी अध्यक्षो के फार्मूले का प्रयोग मध्य प्रदेश में भी किया है।इसी फॉर्मूले के तहत पार्टी ने चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाये हैं।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन नियुक्तियों में क्षेत्रीय ओर जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा है।
कार्यकारी अध्यक्ष और क्षेत्रीय जातिगत समीकरण
बाला बच्चन -- निमाड़ से - अनुससुचित जनजाति
रामनिवास रावत-ग्वालियर चम्बल से-पिछड़ा वर्ग
जीतू पटवारी-मालवा से-पिछड़ा वर्ग
सुरेंद्र चौधरी-बुंदेलखंड से-अनुसूचित जाति से।
बाला बच्चन सत्यदेव कटारे की मृत्यु के बाद से नेता प्रतिपक्ष के दावदेर थे लेकिन उनकी जगह पार्टी ने अजय सिंह को चुना था यही वजह रही कि बाल बच्चान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराजगी दूर की गई वहीं 2 अप्रेल को हुए दलित आदिवासी आंदोलन से भाजपा के खिलाफ उपजे आक्रोश को भुनाने के लिए भी बाला बच्चन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।वही पिछड़े ओर अनुसूचित वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर दलित पिछड़ों को कांग्रेस ने संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस अब भी इस वर्ग को आगे रखती है।
1980 से कांग्रेस की आवाज संसद में उठने वाले कमलनाथ के पास 40 सालों के लंबा अनुभव है। पार्टी ने 14 सालों के वनवास खत्म करने के लिए कमलनाथ का चुनाव कर बड़ा दांव खेला है।
कमलनाथ को अध्यक्ष बनाये जाने के फायदे।
- चुनावी मैनेजमेंट में माहिर।
- पार्टी फंडिंग में माहिर।
- सभी दिग्गजों से सामंजस्य बिठा सकते है।
- कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह का खुला समर्थन।
- नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह समेत पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया का समर्थन हासिल।
- बीएसपी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी समेत क्षेत्रीय पार्टियों से अच्छे संबंध।
- छिंदवाड़ा के विकास का मॉडल प्रदेश के लिए पेश करेंगे।
- भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष जबलपुर के राकेश सिंह की काट।
- महाकौशल ओर विंध्य में अपनी पकड़ का फायदा दे सकते हैं।
- दिल्ली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से संपर्क।
दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया को केम्पेन कमेटी का चेयरमेन बनाकर पार्टी ने युवा वोटर्स में पैठ बनाने की कोशिश की है।भीड़ जुटाने में सक्षम सिंधिया का इस्तेमाल पार्टी पूरे प्रदेश में आक्रामक तरीके से प्रचार में करेगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को अध्यक्ष बनाने के फायदे।
युवाओं महिलाओं की पहली पसंद।
युवा शक्ति के दम पर सुस्त पड़ी कांग्रेस को जिंदा कर सकते हैं।
आक्रामक बेदाग छवि।
भाजपा की चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ग्वालियर के नरेंद्र सिंह तोमर की काट।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को कोर टीम में शामिल।
लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप।
कांग्रेस के युवा तुर्कों में शामिल।
प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी सुरेश पचौरी का समर्थन हासिल।
जाहिर है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ ओर सिंधिया दोनो को पद देकर प्रदेश के सभी दिग्गजों को एक तीर से साधा हैं।
मिशन 2018 में शिवराज के चेहरे से होने वाले चुनावी युद्ध के चलते आखिरकार कांग्रेस ने अपना चेहरा चुन लिया है।लेकिन सबाल उठता है कि चेहरों की भरमार वाली कांग्रेस में आखिर कमलनाथ के चेहरे का कितना वजन होगा और आने वाले चुनावों में कमलनाथ चेहरे का जादू क्या शिवराज के चेहरे की रंगत उड़ा पायेगा।
- डॉ. नवीन जोशी
कांग्रेस में आया एक रुका हुवा फैसला कमान कमलनाथ के हाथ
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