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अब न्यायालयों में सरकारी गवाहों को नहीं भटकना पड़ेगा

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 2060

हर जिले में बनेगी सीयूजी सिम के साथ विटनेस हेल्प डेस्क



13 जून 2019। अब प्रदेश के न्यायालयों में आपराधिक घटनाओं वाले प्रकरणों में सरकारी गवाहों को भटकना नहीं पड़ेगा। उनकी मदद हेतु प्रत्येक जिले में विटनेस हेल्क डेस्क खोली जा रही है। इससे ये गवाह आरोपियों के वकीलों और दलालों के झांसे में नहीं आयेंगे तथा हेल्प डेस्क के माध्यम से उन्हें बताया जायेगा कि उन्हें किस कोर्ट में और किस सरकारी वकील के साथ गवाही हेतु पेश होना है।



यह नवाचार पहली बार राज्य के गृह विभाग के अंतर्गत कार्यरत लोक अभियोजन संचालनालय प्रारंभ करने जा रहा है। अभी संचालनालय ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना और मैहर में यह सुविधा प्रदान की है तथा इसकी उपयोगिता को देखते हुये अब इसे प्रदेश के हर जिले में स्थापित किया जा रहा है। इसके लिये लोक अभियोजन संचालनालय ने सभी जिला अभियोजन अधिकारियों से कहा है कि प्रत्येक जिले में एक विटनेस हेल्प डेस्क बनाई जाना है। इस डेस्क में जिला अभियोजन कार्यालय के सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी को प्रभारी अधिकारी नामांकित किया जायेगा। इस हेतु जिला अभियोजन अधिकारियों से उनके कार्यालय के एक सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी का नाम मांगा गया है। इस कर्मचारी को क्लोज यूजर ग्रुप यानि सीयूजी सम भी आवंटित की जायेगी।



अब समन के साथ सीयूजी नंबर भी होगा :

प्रदेश में अब आपराधिक घटनाओं वाले प्रकरणों में गवाहों को न्यायालय में गवाही देने के लिये पेश होने के जो समन्स जारी होंगे उसके साथ एक पेपर विटनेस हेल्स डेस्क के प्रभारी अधिकारी का सीयूजी नंबर भी होगा। गवाह न्यायालय में जाकर सीधे इस हेल्य डेस्क पर जायेगा जहां प्रभारी अधिकारी उसे बतायेगा कि किस न्यायालय में उसे पेश होना है और किस सरकारी वकील के साथ। इससे गवाह को न्यायालय में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा और आरोपी पक्ष के वकीलों और दलालों के झांसे में नहीं आयेगा।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि क्राईम रेट इसलिये बढ़ता है क्योंकि आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती है। विटनेस हेल्प डेस्क से सरकारी गवाह न्यायालय में आसानी से गवाही करने आ सकेंगे और प्रासीक्युशन रेट बढ़ेगा। इस डेस्क की सफलता का आंकलन छह में देखा जायेगा और अच्छा प्रतिसाद होने पर शासन सिविल केसों में ऐसी व्यवस्था करेगा।







? (डॉ. नवीन जोशी)

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