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अब फी रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष को कुलपति के समान वेतन एवं भत्ते मिलेंगे

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 2209

27 जून 2019। निजी उच्च शिक्षण संस्थाओं का प्रवेश शुल्क तय करने के लिये राज्य शासन द्वारा गठित एमपी एडमिशन एण्ड फी रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष को अब राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति को मिलने वाले वेतन एवं भत्तों के समान मासिक पारिश्रमिक मिलेगा। इसके लिये राज्य के तकनीकी शिक्षा विभाग ने मप्र निजी व्यवसायिक शिक्षण संस्था प्रवेश का विनियमन एवं शुल्क का निर्धारण अधिनियम 2007 के तहत वर्ष 2008 में बने फीस विनियामक समिति का गठन, कार्यकरण, निबंधन तथा शर्तें विनियम में संशोधन कर उसे प्रभावशील कर दिया है।



दरअसल पहले विनियम में प्रावधान था कि समिति के अध्यक्ष को वह मासिक पारिश्रमिक मिलेगा जो कि उसके द्वारा पहले की गई शासकीय सेवा में आहरित अंतिम वेतन और मंहगाई भत्ता व वाहन भत्ता को मिलने वाली पेंशन में से घटाकर आ रही राशि है। इससे हो यह रहा था कि कोई प्रोफेसर किसी विश्वविद्यालय का कुलपति बनता है और वापस प्रोफेसर के पद पर आकर रिटायर हो गया है तो उसके फी रेगुलेटरी समिति का अध्यक्ष बनने पर उसे प्रोफेसर के रुप में मिलने वाला अंतिम वेतन एवं भत्ते उसकी पेंशन से घटाकर दिया जाता था। ऐसे में उसे कुलपति के रुप में मिलने वाले वेतन एवं भत्ते को नहीं लिया जाता था। वर्तमान में डा. कमलाकर सिंह फी रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये हैं जोकि अभी सेवारत हैं। इसलिये उन्हें कुलपति के रुप में वेतन एवं भत्ते दिये जायें, इसके लिये यह नया संशोधन किया गया है।



नये संशोधन में यह भी प्रावधान कर दिया गया है कि यदि फी रेगुलेटरी कमेटी का अध्यक्ष किसी सेवानिवृत्त व्यक्ति को बनाया जाता है तो उसका मासिक पारिश्रमिक वह होगा जो उसके अंतिम वेतन में से पेंशन को घटाकर दिया जाये। यानि अब सेवानिवृत्त व्यक्ति को रिटायरमेंट के अंतिम समय में मिलने वाले मंहगाई भत्ते और वाहन भत्ते को उसकी पेंशन से नहीं घटाया जायेगा।

यह भी किया संशोधन :



फी रेगुलेटरी कमेटी के सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति पहले राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि भोपाल करता था और विवि इस व्यय की प्रतिपूर्ति तकनीकी शिक्षा विभाग के बजट से कर लेता था। कमेटी के गठन के बाद कुछ समय तक विवि ने कमेटी के सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति की परन्तु बाद में इसे बंद कर दिया। कमेटी को विवश होकर अपने कारपस फण्ड से इन खर्चों की प्रतिपूर्ति करना पड़ी जबकि नियमों में इसका प्रावधान नहीं था। इस विसंगति को दूर करने के लिये भी विनियम में नया प्रावधान जोड़ दिया गया है कि उसे निजी उच्च शिक्षण संस्थाओं का प्रवेश शुल्क निर्धारित करते समय जो फीस मिलती है उससे वह अपने खर्चों को पूरा करेगा और इसके बाद भी राशि बचने पर उसे कारपस फण्ड में रखेगा और उसके ब्याज से अपने शेष खर्चे पूरे करेगा।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि फीस कमेटी के अध्यक्ष को कुलपति के समान वेतन एवं भत्ते देने का नया प्रावधान किया गया है और कमेटी के व्ययों की प्रतिपूर्ति कारपस फण्ड से ही करने की व्यवस्था कर दी है।







? डॉ.नवीन जोशी

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