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जेल विभाग ने किया अपने नियमों में बदलाव

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 2275

अब एसपी-जेल अधीक्षक के पास नहीं रहेगी अपराध पीडि़त प्रतिकर राशि

3 जुलाई 2019। राज्य के जेल विभाग ने अपने 51 साल पुराने नियमों में बदलाव कर दिया है। ये नियम कारागार अधिनियम 1894 के तहत बने हैं जो मप्र प्रिजन्स रुल्स 1968 कहलाते हैं। इन नियमों में पहले प्रावधान था कि जेल में बंद कैदियों द्वारा अपने पारिश्रमिक से जो धन कमाया जाता है उसका पचास प्रतिशत हर जिले में एसपी और जेल अधीक्षक की सदस्यता में बनी कमेटी के पास जमा होगा तथा यह कमेटी अपराधों से पीडि़त परिवार जनों को आर्थिक सहायत देगी जोकि अधिकतम 25 हजार रुपये होगी। परन्तु अब यह प्रावधान हटा दिया गया है।



अब जेल नियमों में नया प्रावधान किया गया है कि जेल में बंद बंदी द्वारा उपार्जित मजदूरी का 50 प्रतिशत भुगतान बंदी को किया जायेगा तथा शेष 50 प्रतिशत राशि पीडि़त प्रतिकर योजना में राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जमा किया जायेगा।



दरअसल जेल विभाग को अपने नियमों में यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2 अक्टूबर 2018 को दिये एक निर्णय के पालन में करना पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि भले ही अपराध में आरोपी को सजा मिले या नहीं मिले, उसके अपराध से पीडि़त परिवार को सहायत राशि मिलना चाहिये। यह सहायता राशि भी 5 से 10 लाख रुपये तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अपराध पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद देने की विभिन्न विभागों की अलग-अलग योजनायें हैं जबकि एक ही योजना होनी चाहिये।



प्रदेश में अपराध पीडि़त परिवार को जेल विभाग के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग और आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग भी एट्रोसिटी एक्ट के तहत मदद करता है। सुप्रीम कोर्ट में उक्त निर्णय के बाद राज्य के गृह विभाग को अपराध पीडि़त प्रतिकर योजना का नोडल अधिकारी बनाया गया है। अब सभी विभाग अपनी सहायता राशि एक ही कोष में जमा करेंगे तथा इसी कोष से सहायता राशि दी जायेगी। इस कोष के संबंध में जल्द ही गृह विभाग स्कीम जारी करने वाला है। इसके अलावा अन्य विभाग भी जेल विभाग की तरह ही अपने नियमों में संशोधन करेंगे।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि अपराध पीडि़तों को तत्काल आर्थिक मदद देने के लिये अब विभिन्न विभागों की अलग-अलग योजना नहीं होगी बल्कि एक ही योजना होगी। इसीलिये जेल नियमों में बदलाव किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऐसा किया गया है।









(डॉ. नवीन जोशी)

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