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कमलनाथ सरकार ने बदली जमीनों के लिए शिवराज की तय गाईड लाइन ....

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 2045

अब आईजी पंजीयन हुए अधिकार विहीन



17 जुलाई 2019। राज्य की कमलनाथ सरकार ने जमीनों की कलेक्टर गाईड लाईन तैयार करने के अधिकार आईजी पंजीयन से छीन लिये हैं। अब आईजी गाईड लाईन तो तय करेगा परन्तु यदि राज्य सरकार निर्देश देती है कि गाईड लाईन की दरें बदली जायें तो उसे ये निर्देश मानने बाध्यकारी होंगे।



उल्लेखनीय है कि पिछली शिवराज सरकार ने 11 अप्रैल 2018 को यह प्रावधान किया था कि कलेक्टर गाईड लाईन तय करने हेतु बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिध्दान्त नियम के अंतर्गत कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला मूल्यांकन समिति और आईजी पंजीयन की अध्यक्षता में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड होगा तथा जिला मूल्यांकन समितियों की सिफारिशों पर केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ही दरें तय करेगा।



हाल ही में इस केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ने कलेक्टर गारईड लाईन की दरें अनावश्यक रुप से बहुत बढ़ा दी थीं। जब राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति की तो बताया गया कि नियमों के तहत आईजी पंजीयन को ही ये दरें तय करने की शक्तियां हैं तथा इसमें राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है। इसी कारण से आनन-फानन में नियमों में बदलाव किया गया तथा अब नया प्रावधान कर दिया गया है कि राज्य सरकार बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिध्दान्तों के संबंध में विशिष्ट नीति विषयक निर्णय क्रियान्वित करने हेतु केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड अथवा जिला मूल्यांकन समिति को निर्देशित कर सकेगी। इसी नये प्रावधान के कारण अब प्रदेश में कलेक्टर गाईड लाईन की दरों में बीस प्रतिशत की कमी हो पाई है। राज्य सरकार ने नियमों में यह भी प्रावधान कर दिया है कि संयुक्त महानिरीक्षक पंजीयन/कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयन में कार्यरत विभागीय अधिकारी जिसे इस संबंध में महानिरीक्षक पंजीयन द्वारा अधिकृत किया जाये, केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड का सदस्य संयोजक होगा। पहले प्रावधान था कि संयुक्त महानिरीक्षक पंजीयन/उप महानिरीक्षक पंजीयन जो इस संबंध में महानिरीक्षक पंजीयन द्वारा प्राधिकृत किये जायें, केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के सदस्य होंगे।विभागीय अधिकारी ने बताया कि बाजार मूल्य मार्गदर्शन सिध्दान्त नियम में बदलाव किया गया है जिसके तहत अब राज्य सरकार के निर्देश बोर्ड और जिला समितियों को मानना बाध्यकारी होगा।







? डॉ. नवीन जोशी

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