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प्रदेश में अब जैव विविधता के अनुसंधान की अनुमति नहीं देगा बोर्ड

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1504

सिर्फ वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति मिलेगी



24 जूलाई 2019। राज्य जैव विविधता बोर्ड अब प्रदेश में जैव विधिता के अनुसंधान हेतु कोई अनुमति नहीं देगा। वह सिर्फ वाणिज्यिक उपयोग के लिये संग्रहण करने की ही अनुमति देगा। इस हेतु राज्य के वन विभाग ने पन्द्रह साल पुराने मप्र जैव विविधता नियम 2004 में संशोधन कर दिया है।



दरअसल वर्ष 2004 के नियमों में प्रावधान कर दिया गया था कि सौ रुपये शुल्क देकर अनुसंधान के लिये भी बोर्ड अनुमति प्रदान करेगा जबकि केंद्र सरकार के जैव विधिता अधिनियम 2002 में इस हेतु कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में अब जाकर इस प्रावधान को हटा दिया गया है। अब सिर्फ वाणिज्यिक उपयोग हेतु जैव विधिता का संग्रहण करने की अनुमति एक हजार रुपये का शुल्क देकर अनुमति ली जा सकेगी। यह शुल्क चैक या बैंक डिमांड ड्राफ्ट के द्वारा ही अदा किया जा सकेगा।



यह भी हुये नये प्रावधान :

जैव विधिता नियमों में संशोधन के जरिये कुछ और नये प्रावधान जोड़े गये हैं। अब जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभा स्तर पर गठित जैव विधिता प्रबंधन समितियां कार्यपालिक समितियां होंगी जबकि नगर निगम, नगर पालिका एवं नगर परिषद में वार्ड स्तर पर भी जैव विविधता प्रबंधन समितियां गठित होंगी। इसी प्रकार यदि नगरीय निकाय स्तर पर ये प्रबंधन समितियां काम नहीं करना चाहती हैं तो निकाय संकल्प पारित कर इस कार्य को ग्राम सभा स्तर पर गठित वन समिति सह जैव विधिता प्रबंधन समिति को यह कार्य सौंप सकेंगे।



उक्त के अलावा अब जैव विविधता प्रबंधन समिति का अध्यक्ष अपनी समिति की बैठक में उपस्थित होता है तो उसे राज्य जैव विधिता बोर्ड भत्ता प्रदान करेगा। इसके अलावा अब जैव विधिता प्रबंधन समिति की हर तीन माह में बैठक बुलाना भी जरुरी होगा।



अनुमति के लिये नया आवेदन-पत्र :

अब जैव विधिता के वाणिज्यिक उपयोग हेतु संग्रहण करने की अनुमति बोर्ड से लेने के लिये नये आवेदन-पत्र को भरना होगा जिसमें आवेदक को अपना मोबाईल नंबर, ई-मेल आईडी, वेबसाईट आदि भी देनी होगी। यदि आवेदक विदेशी कंपनी है तो उसे राष्ट्रीय जैव विधिता बोर्ड से इसकी अनुमति लेना होगी।



विभागीय अधिकारी ने बताया कि एक्ट में अनुसंधान हेतु अनुमति देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसीलिये नियमों में संशोधन कर इसका प्रावधान हटाया गया है।









निर्माणाधीन बांध के क्षतिग्रस्त होने की घटना पर जांच दल गठित

राज्य शासन ने अनूपपुर जिले के कोतमा विकासखण्ड अंतर्गत निर्माणधीन पिपरिया जलाशय योजना में बांध क्षतिग्रस्त होने संबंधी जांच हेतु जांच दल का गठन किया है। इस जांच दल में जल संसाधन विभाग के बांध सुरक्षा के संचालक एसके श्रीवास्तव, उप संचालक आरके सिंह तथा सहायक संचालक शशंक शुक्ला सदस्य बनाये गये हैं। जांच दल से कहा गया है कि वह पूर्ण प्रतिवेदन रंगीन फोटो सहित 24 जुलाई 2019 को जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता मदन सिंह डावर को सौंपे।





? डॉ. नवीन जोशी

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