विधानसभा द्वारा पारित दो कानून राज्यपाल की स्वीकृति से अमल में आये
15 अक्टूबर 2019। मध्यप्रदेश में अब कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं होगा और उन्हें नगरीय चुनाव लडऩे के साथ-साथ शासकीय, अशासकीय नौकरियों मिल सकेंगी और सार्वजनिक स्थल पर उनसे अछूतों जैसा व्यवहार नहीं होगा। दरअसल राज्य के दो ऐसे कानून थे जिनमें कुष्ठ रोगियों से भेदभाव किये जाने के वैधानिक प्रावधान थे। अब इन दोनों कानूनों में संशोधन हो गया है और राज्यपाल की स्वीकृति से पूरे प्रदेश में लागू हो गये हैं।
यह थे दो विभेदकारी कानून :
सत्तर साल पहले मप्र पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 बना था जिसकी पांच धाराओं में कुष्ठ रोगियों से भेदभाव के कानूनी प्रावधान किये गये थे। इन धाराओं में प्रावधान था कि व्यक्ति को चाहे जाने पर डाक्टर से ऐसा प्रमाण-पत्र लेना होगा कि उसे कुष्ठ रोग नहीं है। कुष्ठ रोग विहीन होने का डाक्टरी प्रमाण-पत्र लिये बिना व्यक्ति शिक्षक, विद्यार्थी, डाक्टर, नर्स, मिडवाईफ, आया या अर्दली, गृह सेवक, निजी परिचारक या ऐसा नियोजन जिसमें स्पर्श से कुष्ठ रोग जैसा संक्रामक रोग फैल सकता है, नहीं लग सकेगा। इसी प्रकार कुष्ठ रोग पीडि़त किसी विद्यालय, महाविद्यालय, खेल मैदान या ऐसे अन्य स्थल पर उपस्थित नहीं होगा और न ही किसी लोक या परिचालित वाचनालय से कोई पुस्तक नहीं लेगा या उसके उपयोग हेतु पुस्तक नहीं लायेगा या ली गई पुस्तक का उपयोग नहीं करेगा। इसके अलावा यह भी प्रावधान था कि संचालक स्वास्थ्य कुष्ठ रोगियों को पृथक आवास में रख सकेगा और कुष्ठ रोगी ऐसे पृथक आवास से भागता है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा।
प्रदेश में दूसरा कानून 58 साल पहले बना जोकि मप्र नगरपालिका अधिनियम 1961 था। इसमें प्रावधान था कि कोई भी कुष्ठ रोग पीडि़त नगरीय निकाय के अध्यक्ष या पार्षद पद का चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
अब यह किया बदलाव :
राज्य की कमलनाथ सरकार ने 21 फरवरी 2019 को विधानसभा में मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 में संशोधन का विधेयक पारित किया जिसमें कुष्ठ रोगियों के चुनाव लडऩे पर लगा प्रतिबंध हटाया गया। इसके बाद सरकार ने 23 जुलाई 2019 को मप्र पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 में संशोधन वाला विधेयक पारित किया जिसमें कुष्ठ रोंगियों से भेदभाव करने वाले सभी प्रावधान खत्म किये गये। अब इन दोनों संशोधन विधेयकों को राज्यपाल लालजी टण्डन ने स्वीकृति प्रदान कर दी है जिससे ये दोनों विधेयक कानून के रुप में प्रभावी हो गये हैं।
इसलिये किया यह बदलाव :
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगी हुई है जिसमें कुष्ठ रोगियों से भेदभाव को खत्म करने की प्रार्थना की गई है। चूंकि अब देश में कुष्ठ रोग असाध्य बीमारी न होकर साध्य बीमारी है अर्थात इसे ठीक किया जा सकता है, इसलिये कुष्ठ रोगियों से भेदभाव वाले सभी वैधानिक प्रावधान किये गये हैं।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि कुष्ठ रोग त्वचा में बैक्टिरिया लगने से होता है तथा अब इसे ठीक किया जा सकता है। महात्मा गांधी ने भी कुष्ठ रोग पीडि़तों की सेवा का अभियान चलाया था। इसीलिये ऐसे विभेदकारी प्रावधान खत्म किये गये हैं।
- डॉ. नवीन जोशी
अब प्रदेश में कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं होगा
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Bhopal 👤By: DD Views: 1297
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