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चीन की विस्तारवादी नीति है सीमा विवाद की जड़

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 6800

चीन के खिलाफ भारत की सेना हर मोर्चे पर मुस्तैद


- श्रीराम माहेश्वरी
भारत के कई राज्यों में इन दिनों जल के बादल बारिश कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ भारत की सीमा पर युद्ध के बादल भी मंडराने लगे हैं। चीन भारत को कई मोर्चों पर घेरने का प्रयास कर रहा है। यह सच है कि शुरु से ही चीन की हरकतें भारत के साथ धोखे की रही हैं। जब जब भारत ने उस पर भरोसा किया तभी उसने धोखा दिया। भारत की सीमा के पास वह इन दिनों अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। ज्ञात हुआ है कि पाकिस्तान में चीन ने दो एयरपोर्ट बना लिए हैं और दो पर काम भी चल रहा है। दरअसल चीन ने पाकिस्तान में भारतीय सीमा के आसपास काफी निवेश किया है, इसलिए चीन की सेना वहां अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। भारत और चीन के बीच विवाद कि वजह उसकी विस्तारवादी नीति ही है।

भारत और चीन के सैनिकों के बीच पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति और गंभीर हुई है। इस झड़प में भारत के करीब बीस सैनिक हताहत हुए। तभी से भारत में चीन के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया है। देश के भीतर चीन के सामानों के बहिष्कार की मुहिम तेजी से चल पड़ी है। नागरिकों में चीन के खिलाफ जबरदस्त उबाल है। देखा जाए तो कोरॉना के चलते अमेरिका तथा अनेक देश चीन से पहले से ही नाराज चल रहे थे, अब गलवान घाटी के संघर्ष के बाद इन देशों का गुस्सा और बढ़ गया है। अमेरिका धीरे-धीरे चीन के प्रति कई प्रकार की सख्ती दिखा रहा है। हाल ही में अमेरिका ने यहां तक कह दिया कि वह यूरोप क्षेत्र से अपने सैनिक बुलाकर विवादास्पद चीनी जल क्षेत्र के आसपास तैनाती करेगा। इससे चीन और बोखला गया।

चीन की विस्तारवादी नीति से कई पड़ोसी देश पहले से ही परेशान रहे हैं। चीन पड़ोसी देशों की सीमा पर भूमि विवाद की घटनाएं अनेक वर्षों से करता रहा है। उसकी मंशा होती है कि वे देश उसके दबाव में आ जाएं। इन देशों में वियतनाम, दक्षिण कोरिया, जापान प्रमुख हैं। इनके विवाद पहले से ही चल रहे हैं। उसने कई नदियों पर बड़े बांध भी बना लिए हैं। भारत के साथ भी सीमा विवाद वैसे काफी पुराना है। पिछले कुछ वर्षों में उसने नेपाल और पाकिस्तान को कई प्रकार के कर्ज देकर उन्हें अपनी कठपुतली बना लिया है। इसी कारण नेपाल ने पिछले दिनों चीन की शह पर भारत से सीमा संबंधी विवाद को लेकर बखेड़ा खड़ा किया। इससे दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है। पाकिस्तान तो पहले से ही भारत के खिलाफ अनेक षड्यंत्र रचता रहा है। अब ताजा घटनाक्रम को देखते हुए पाकिस्तान भी चीन के साथ सक्रिय हो गया है।

भविष्य में यदि चीन का भारत से युद्ध होता है तो भारत इसके लिए कमर कस चुका है। हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रूस का दौरा किया है। वहां से भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान और अन्य जरूरी हथियार जल्दी मिलने की उम्मीद है। रूस भारत का पुराना और विश्वसनीय मित्र है। लद्दाख की घटना के बाद अमेरिका जब चुप था, तब रूस ने भारत को हथियार और लड़ाकू विमान भेजने की सहमति दी। इसके बाद अमेरिका भी सक्रिय हो गया। अमेरिका के साथ कुछ और देश की चीन के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। देखने वाली बात यह है कि जब भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर की विवादास्पद धारा को निष्प्रभावी किया, तभी से चीन और पाकिस्तान भारत सरकार के इस कदम से खफा हैं। उनकी भारत के खिलाफ आंतरिक संघर्ष के द्वारा विघटन के मसूबों पर पानी फिर गया है। इसके बाद पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां और ज्यादा बढ़ाना शुरू किया। कोरोना वायरस के दौर में भी उसके शड़यंत्रों में कोई कमी नहीं आई है। इधर हांगकांग और तिब्बत में के लोगों में चीन की ज्यादितियों के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। यदि भारत चीन युद्ध हुआ तो इन दोनों राज्यों के लोग चीन के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं। इससे चीन कमजोर पड़ सकता है।

कोरोना वायरस बीमारी के कारण चीन की दुनिया भर में जो साख गिरी है, इससे लोगों का ध्यान हटाने के लिए भी वह युद्ध की स्थिति पैदा करने में लगा हुआ है। दरअसल चीन का प्रयास भारत को दबाने का है, जबकि भारत झुकने के लिए तैयार नहीं है। देश की सीमाओं की रक्षा के लिए सरकार ने तीनों सेनाओं को फ्री हैंड दे दिया है। चीन की नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए भारत की सेना हर मोर्चे पर मुस्तैद है। हालांकि युद्ध अंतिम विकल्प नहीं है, फिर भी भारत चीन के बीच बढ़ते तनाव के हालात युद्ध के मार्ग पर अग्रसर हैं।

(लेखक 'नेचर इंडिया' के संपादक और वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं)। ई मेल: srmaheshwaribhopal@gmail.com

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