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राममय अयोध्या और हिंदुत्व का सिंघनाद

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 6980

-श्रीराम माहेश्वरी

अब निकट आ गया पांच अगस्त का दिन। इस दिन जब अयोध्या से विश्वव्यापी हिंदुत्व का बिगुल बज उठेगा। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में इन दिनों पूरे हर्षोल्लास से तैयारियां चल रही हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस दिन राममंदिर निर्माण का शिलान्यास करेंगे। अयोध्यावासी राममय भक्ति रस का सेवन कर रहे हैं। समूचे विश्व के राम भक्त इस आयोजन से प्रसन्न है। पूरे अयोध्या शहर को पवित्र पीले रंग से रंगा गया है। भगवान राम के चरित्र से जुड़े चित्र दीवारों पर उकेरे गए हैं । अयोध्या की प्रजा इस अमूल्य घड़ी की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है।

यह सच है कि भगवान श्रीराम समूचे विश्व के आराध्य हैं। करीब 492 साल पहले बाहरी आक्रांताओं ने मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद बना दी थी। भारत की आजादी के बाद कोर्ट में केस चला। पिछले दिनों कोर्ट के निर्णय के बाद यहां मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। अब यह शुभ घड़ी आ गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ चार लोग और मंच साझा करेंगे। इनके नाम हैं- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास।

शिलान्यास के अवसर पर अयोध्या शोध संस्थान की ओर से भगवान राम और लवकुश की प्रतिमा प्रधानमंत्री को भेंट की जाएगी। पूजन में एक लाख 11 हजार लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। शिलान्यास के लिए पवित्र नदियों का जल और पवित्र तीर्थों की मिट्टी मंगवाई गई है। चांदी की एक ईंट भी रखी जाएगी। कार्यक्रम की सुरक्षा के लिए पूरी अयोध्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है । अयोध्या को अब पीला शहर भी कहा जाएगा। जिस तरह जयपुर को गुलाबी नगरी कहा जाता है। आयोजक द्वारा जनता से अपील की गई है कि वे इस कार्यक्रम को घर बैठे टीवी पर देखें । 4 और 5 अगस्त को घरों में रामायण का पाठ करें तथा 5 अगस्त को शाम को वे घरों में दीपक जलाएं। इस दिन जब दीपों की रोशनी पूरे देश में होगी तो लोगों को दीपावली महोत्सव का अनुभव होगा।

भगवान श्रीराम के जीवन पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की है। इसमें उन्होंने रामराज्य की परिकल्पना को भी निरूपित किया है। देश, समाज और परिवार के प्रति मनुष्य के क्या कर्तव्य हैं। वह कैसे जीवन यापन करें, इसकी व्याख्या इसमें गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। रामचरितमानस के माध्यम से उन्होंने भक्ति और ज्ञान का जनमानस में अलख जगाया। वहीं उन्होंने शैव और वैष्णव भक्तों के बीच फैले मतभेदों को दूर कर समन्वय स्थापित किया। जब रामचरितमानस की रचना की जा रही थी, उस समय समाज में धर्म और विभिन्न पंथों के बीच भारी वैचारिक खाई बनी हुई थी। अपने धर्म और पंथ को लोग श्रेष्ठ बताने में लगे हुए थे, तब रामचरितमानस के विचारों से प्रभावित होकर समाज समरसता के सन्मार्ग पर आगे बढ़ा। इसका श्रेय श्री गोस्वामी जी को है।

गोस्वामी जी ने रामचरितमानस में रामराज्य की परिकल्पना को साकार रूप दिया । उन्होंने बताया कि राजा कैसा हो और प्रजा के प्रति उसके कर्तव्य क्या है । राज्य में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप ना हो। चारों ओर समृद्धि और खुशहाली हो। निषादराज और शबरी प्रसंग के माध्यम से उन्होंने छुआछूत और भेदभाव को दूर करने का जनमानस में संदेश दिया। स्त्री के प्रति मानवीय व्यवहार आदर से भरा हो। भक्ति और ज्ञान के प्रति लोगों में रुचि बढ़ती रहे।

रामायण के माध्यम से उन्होंने सत्य पर चलने की सीख दी और असत्य पर चलने वालों की दुर्गति का परिणाम भी दिखाया। इस तरह हम कह सकते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस की चौपाइयों से राम भक्त सदैव भाव विभोर होकर राम कथाएं गाते रहेंगे।

भगवान राम की कथा भारत के कोने कोने में बड़ी श्रद्धा से कही जाती है और आने वाले युगों में कही जाती रहेगी। भारत सहित विश्व के अनेक देशों में रामलीला का मंचन किया जाता है। हमें विश्वास है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास समारोह के बाद दुनिया में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और सामाजिक समरसता का एक नया अध्याय इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

(लेखक टिप्पणीकार एवं वरिष्ठ पत्रकार हैं)।

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