प्रदेश में एक बार फिर से संबल योजना में 10 हजार 285 हितग्राहियों को 224 करोड़ 08 लाख रूपए की अनुग्रह सहायता राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से सीएम शिवराज ने उनके खातों में अंतरित की है । वस्तुत: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभालते ही गरीबों के हित में जो निर्णय लेना शुरू कर दिए थे, उन तमाम अच्छे निर्णयों में से एक ''संबल योजना'' का पुन: शुरू होना है, जिसे कांग्रेस राज में बंद कर दिया गया था। मुख्यमंत्री चौहान की संवेदनशील सोच से उपजी संबल योजना में मध्य प्रदेश में गरीब वर्ग की जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाले व्यय की जिम्मेदारी शासन उठाता है।
अर्थात् योजना में बच्चे के जन्म से पहले 4 हजार रूपए, जन्म के बाद 16 हजार रूपए, फिर पढ़ाई, राशन, मकान, इलाज और मृत्यु के बाद अनुग्रह सहायता दी जाती है। 'संबल' के पुन: आरंभ होने पर अब तक 1 लाख 80 हजार हितग्राहियों को 1483 करोड़ रूपए का हितलाभ वितरित किया गया है। योजना में 1 लाख 92 हजार प्रवासी मजदूरों का भी पंजीयन कर उन्हें लाभ दिया जा रहा है। वस्तुत: इन आंकड़ों से भी समझा जा सकता है कि प्रदेश के गरीबजन के लिए इस योजना का अपना कितना अधिक महत्व है ।
आज मुख्यमंत्री चौहान जब कहते हैं कि सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2024 तक कोई गरीब कच्चे मकान में नहीं रहेगा। सबकी पक्की छत होगी। साथ ही हर घर में नल से पानी दिया जाएगा। सरकार हर गरीब के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई-लिखाई तथा दवाई का इंतजाम कर रही है और जो अधिक कमाते हैं उनसे टैक्स लेंगे और जिनके पास नहीं है उन्हें सहायता करेंगे। तब प्रदेश के जिलों में रह रहीं बैतूल जिले की मुमताज बानो, जबलपुर की राशि देवलिया, बड़वाह की यशोदा बाई कुशवाह एवं उज्जैन की ममता सिकरवार जैसे जरूरतमंदों के चेहरों पर जोश उमड़ पड़ता है, वस्तुत: ऐसे तमाम चेहरे उत्साह से भर उठते हैं । उन्हें सच में लगता है कि प्रदेश की शिवराज सरकार अपनी जनसंघ-भाजपाई परंपरा के अनुकूल अंतिम व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री चौहान संबल योजना को न्याय का माध्यम मानते हैं। उनका कहना है कि गरीब भगवान का स्वरूप है और उनकी सेवा भगवान की पूजा के समान है। इसी उद्देश्य से प्रदेश में संबल योजना का प्रावधान किया गया। संबल में पढ़ाई की नि:शुल्क व्यवस्था है। किताबें, आठवीं तक यूनिफार्म् और मध्याह्न भोजन की व्यवस्था है। मुख्यमंत्री ने एक नई योजना इसमें जोड़ी है, संबल परिवार के ऐसे बच्चे जो 12वीं में मेरिट में आते हैं, ऐसे 5 हजार बच्चों को 30 हजार रुपये प्रति विद्यार्थी अलग से दिये जा रहे हैं । मेडिकल, इंजीनियरिंग, आईआईटी, आईआईएम में गरीब बच्चों का चयन हो जाता है तो फीस भरना उसके बूते की बात नही, इसलिए सरकार फीस की व्यवस्था करती है।
पढ़ाई के साथ ही खेल में बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए इसके अंतर्गत संबल परिवार के बच्चों जो ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कॉम्पिटिशन या राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की गई है। सही पूछा जाए तो देश भर में कोई राज्य आज ऐसा नहीं है जहां ऐसी योजना हो । वस्तुत: समाज में नीचे खड़े व्यक्ति को बराबर पर खड़े करने के लिए यह योजना एक संबल है। इसलिए कहा जा सकता है कि यह योजना वास्तव में गरीबों का मंगल है। जहां वे अपना पंजीयन कराकर बिना भेदभाव के निरंतर सहजता के साथ आगे बढ़ने का क्रम सफलता से जारी रख सकते हैं।
सच पूछा जाए तो इस योजना को भारत सरकार द्वारा देश हित में सभी राज्यों में आरंभ किया जाना चाहिए। जो अच्छा है वह सब का है, उसे मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। सबके हित में, सबके साथ चलकर ही भारत आनेवाले दिनों में विश्व की महाशक्ति बन सकता है, नहीं तो हमारे आसपास ही गरीबी के मामले इतने अधिक हैं कि देश का आम नागरिक इनसे कभी भी जीवनभर मुक्त नहीं हो सकता, फिर देश के हित और समाज हित के बारे में कब सोचेगा, इस पर सहज ही विचार किया जा सकता है । इसलिए आज जरूरी हो गया है कि देशहित में 'संबल' राज्य से ऊपर उठकर शीघ्र देश का संबल बने और सभी का मंगल करे। उम्मीद है सीएम शिवराज की इस संवेदनशील योजना पर प्रधानमंत्री मोदी अवश्य विचार करेंगे।
लेखक न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े हैं।
मध्य प्रदेश में शिवराज की संबल है गरीबों का मंगल : डॉ. मयंक चतुर्वेदी
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