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संघ प्रमुख ने की समाज से सशक्त और संगठित होने की अपील

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1927


कृष्णमोहन झा/
विजयादशमी के पुनीत पर्व के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में शस्त्र पूजन और उसके पश्चात सरसंघचालक के संबोधन की परंपरा के अंतर्गत इस वर्ष सरसंघचालक मोहन भागवत ने ज्वलंत मुद्दों पर अपने जो सारगर्भित विचार व्यक्त किए उसमें उन्होंने हर समस्या का समाधान भी प्रस्तुत किया । यही मोहन भागवत के संबोधन की विशेषता है। वे अपने संबोधन में पहले अपनी चिरपरिचित शैली में हर गंभीर समस्या की विशद विवेचना करते हैं फिर उसका ऐसा समाधान भी प्रस्तुत करते हैं जिस पर अमल करके समाज और राष्ट्र का व्यापक हित सुनिश्चित किया जा सकता है। मोहन भागवत ने इस वर्ष विजयादशमी के अवसर पर दिए गए संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जनसंख्या नीति, आतंकवाद जैसे ज्वलंत मुद्दों को लेकर संघ के दृष्टिकोण की बिना किसी लाग-लपेट के विस्तार से चर्चा की और समाज और सरकार को सचेत किया कि ज्वलंत मुद्दों के समाधान में विलंब के दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। संघ प्रमुख ने अपने इस संबोधन में ओटीटी प्लेट फार्म पर परोसी जाने वाली सामग्री और नशीले पदार्थो के कारोबार का मुद्दा भी उठाया और उसे नियंत्रित किए जाने की महती आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समाज में नशीले पदार्थों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है और यह सबको पता है कि नशीले पदार्थों की कमाई कहां लगाई जाती है। संघ प्रमुख ने अ पने संबोधन में बिटकाइन और क्रिप्टो करेंसी का मुद्दा ‌‌भी उठाया और सरकार को उस ओर ध्यान देने की सलाह दी। संघ प्रमुख ने कोरोना संकट की चर्चा करते हुए समाज के उन लोगों की सराहना की जिन्होंने कोरोना पीड़ितों की सेवा के पुनीत कार्य में समर्पित भावना से योगदान किया। संघ प्रमुख ने कहा कि सरकार और समाज के विभिन्न वर्गो के सामूहिक प्रयासों से कोरोना संकट का प्रतिकार करने में सफलता मिली है। कोरोना काल काल में समाज के जिन बंधु भगनियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोनो पीडितों की स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में उल्लेखनीय योगदान किया वे अभिनंदन के पात्र हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि हमने तीसरी लहर का सामना करने के लिए जो तैयारियां की हैं उन्हें देखते हुए हम यह आशा कर सकते हैं कि तीसरी लहर के तीव्र होने की गुंजाइश अब नहीं है परंतु हमें यह अवश्य ध्यान रखना है कि संकट अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है इसलिए आगे भी हमें सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है । लोगों को जागरूक करने के लिए संघ के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के समूह गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक करने के अभियान में जुटे हुए हैं। मोहन भागवत ने देश में कोरोना टीकाकरण अभियान की प्रगति को संतोषजनक बताते हुए इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि हमारे देश का आर्थिक क्षेत्र
कोरोना संकट के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने के लिए आवश्यक सामर्थ्य और आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहा है और अब तो हम यह उम्मीद भी कर सकते हैं कि यह हमारे लिए स्व पर आधारित चिंतन , मनन और रचना करने का अवसर भी बन सकता है। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत से अर्थव्यवस्था एवं विकास के नए मानक की अपेक्षा और प्रतीक्षा संपूर्ण विश्व कर रहा है क्योंकि हमारी विशिष्ट आर्थिक दृष्टि हमारे प्रदीर्घ जीवनानुभव और देश विदेश में किए गए आर्थिक पुरुषार्थ का सुफल है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में विभाजन की जिस पीडा का उल्लेख किया था उससे सहमत होते हुए संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी स्वधर्म, स्वराष्ट्र और स्वतंत्रता की समझ के अज्ञान, अस्पष्टता और ढुलमुल नीति और उस पर खेलने वाली अंग्रेजी की कूटनीति के कारण कभी शमन न होने ‌‌वाली विभाजन की वेदना हर भारतवासी के हृदय में बस गई है। संपूर्ण समाज और विशेष कर नयी पीढी को उस इतिहास को समझना को और स्मरण रखना चाहिए ताकि आपसी शत्रुता बढ़ाकर उस इतिहास की पुनरावृत्ति करने के कुत्सित प्रयासों में जुटी ताकतें सफल न हो सकें। ऐसा करके ही‌ हम अपनी खोई हुई एकात्मकता और अखंडता को पुनः प्राप्त करने में कामयाब हो सकते हैं। संघ प्रमुख ने जातिगत विषमता की भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए सामाजिक और कौटुंबिक मेलजोल बढ़ाने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि इसमें सकारात्मक संवाद की विशेष भूमिका हो सकती है। संघ के स्वयंसेवक भी सामाजिक समरसता बढ़ाने वाली गतिविधियों से जुड़कर अपना योगदान कर रहे हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का चरित्र निर्माण करना है और संघ इस काम में समर्पित भाव से जुटा हुआ है।
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में स्व की परिकल्पना और समाज एवं राष्ट्र के लिए उसकी उपादेयता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि स्व की हमारे पुरुषार्थ और आत्मविश्वास को मजबूत करने में विशिष्ट भूमिका होती है ।इसकी अनुभूति अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर के लिए धनसंग्रह अभियान में हुई। यह प्रसन्नता का विषय है कि समाज में स्व का जागरण और आत्मविश्वास निरंतर बढ़ रहा है। इसी संदर्भ में संघ प्रमुख ने टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाडियों की अभूतपूर्व उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उन्हें बधाई दी।
संघ प्रमुख ने विजयादशमी के पुनीत अवसर पर जो संबोधन दिया वह बहुआयामी था तथा सभी ज्वलंत मुद्दों पर उन्होंने संघ के दृष्टिकोण को पूरी स्पष्टताा के साथ प्रस्तुत किया। संघ प्रमुख ने जहां एक ओर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा की जा रही टारगेट किलिंग पर गंभीर चिंता व्यक्त की वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पैदा होने वाले खतरों के प्रति भी आगाह किया। संघ प्रमुख ने कहा कि तालिबान की ओर से कभी कश्मीर और कभी शांति की बात की जाती है इसलिए हम आश्वस्त होकर नहीं रह सकते। पाकिस्तान,चीन तुर्किस्तान के साथ तालिबान का अपवित्र गठबंधन चिंता का विषय है इसलिए हमें सीमाओं पर अपनी सजगता और सतर्कता और मजबूत करनी होगी। संघ प्रमुख ने कश्मीर में आतंकवादियों की समाप्ति के जारी अभियान में और गति लाए जाने की आवश्यकता जताई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत काफी समय से हिंदुत्व के मुद्दे पर विभिन्न अवसरों पर बड़ी बेबाकी से अपने विचार सबके सामने रखते रहे हैं। विजयादशमी पर्व के अवसर पर दिए गए अपने सम्बोधन में भी बिना किसी लाग-लपेट के अपने विचार प्रस्तुत किए जिन पर गौर किए जाने की आवश्यकता है। संघ प्रमुख ने कहा कि जो खुद को हिन्दू मानते हैं उनका यह कर्त्तव्य है कि वे व्यक्तिगत, पारिवारिक सामाजिक और आजीविका के क्षेत्र में आचरण से हिंदू समाज जीवन का उत्तम सर्वांग सुंदर रूप खडा करें। संघ प्रमुख ने दो टूक कहा कि बल,शील , ज्ञान और संगठित समाज को ही‌ दुनिया चुनती है। सत्य और शांति का आधार भी शक्ति ही है। जागरूक, संगठित, सशक्त, सक्रिय समाज ही सभी समस्या का समाधान है। यही काम संघ 96 वर्षों से कर रहा है। संघ प्रमुख ने अपने इस संबोधन में विकास को गति प्रदान करने के लिए जनसंख्या वृद्धि की दर को नियंत्रित करने की आवश्यकता जताई । उन्होंने पर्यावरण और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।

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