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अब वन अमले को बाडीवार्न कैमरे प्रदान किये जायेंगे और बंदूकों से गोली चलाने का सामूहिक निर्णय होगा

Place: Bhopal                                                👤By: prativad                                                                Views: 498

10 फरवरी 2023। प्रदेश के बुरहानपुर जिले की वन चौकी बाकड़ी से पिछले दिनों 17 बारह बोर बंदूकों तथा 652 कारतूसों को लूटने की घटना के बाद गृह विभाग के माध्यम से वन चौकियों के शस्त्रों की सुरक्षा एवं उनकी देखभाल के लिये एसओपी बन गया है। इस एसओपी के संबंध में गृह एवं वन विभाग की संयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया है कि वन अमले को बाडीवार्न कैमरे (कंधे पर छोटे कैमरे लगाकर घटनास्थल पर जाना) प्रदाय किये जायें तथा वन चौकियों पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जाये।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि वन अमले के लिये बनाई आर्म एण्ड एम्युनेशन के उपयोग की एसओपी में टोली इंचार्ज द्वारा बंदूकें चलाने का आदेश देने के स्थान पर सामूहिक रुप से निर्णय लेने की व्यवस्था रखी जाये और बंदूकों का उपयोग केवन आत्मरक्षार्थ ही किया जाये। दरअसल एसओपी में उल्लेख था कि किसी घटना पर जा रहे सशस्त्र वनकर्मियों की टोली के इंचार्ज के पास पूरे कारतूस रखे जायेंगे तथा जब टोली इंचार्ज को यह स्पष्ट हो जाये कि वन अपराधी, वनकर्मियों की जान का खतरा बन रहे हैं तो ऐसी स्थिति में टोली इंचार्ज अपराधियों को ललकारेगा। यदि वन अपराधी इस पर भी नहीं रुके तो टोली इंचार्ज वन कर्मियों को बंदूकों में लोड करने के लिये कारतूस देगा तथा हवाई फायर करने को कहेगा। इस पर वन अपराधी नहीं माने और जान का खतरा बना हुआ है तो टोली इंचार्ज वन अपराधियों की कमर के नीचे फायर करने का आदेश देगा। यदि शस्त्रों से लैस वन अपराधी फायर कर किसी वनकर्मी को आहत करते हैं तो फिर ऐसी स्थिति में वनकर्मी कारगर फायर कर सकते हैं।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि वन विभाग प्रथम चरण में दो वर्ष के अंदर जिला स्तरीय शस्त्रागार वन वृत्त के सोलह जिला मुख्यालयों में निर्मित करेगा। जिन जिलों में कम शस्त्रागार चौकियां हैं उन जिलों के शस्त्रागार अन्य जिलों से संबध्द किये जायें। वन चौकियों में तीन साल के अंदर पुलिस विभाग के मापदण्डों के अनुसार स्ट्रांग रुम बनाये जायें। आरमोरर की सेवायें एवं हथियारों की मरम्मत, वनकर्मियों का प्रशिक्षण आदि कराये जाने हेतु वन मुख्यालय एवं पु लिस मुख्यालय के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किये जायें जिसमें पुलिस विभाग को इस कार्य हेतु वन विभाग से दी जाने वाली राशि का विवरण भी दिया जाये। वन अमले के हथियारों एवं कारतूसों का ऑनलाईन डाटा बेस बनाया जाये। जिला स्तरीय शस्त्रागार बनने तक यदि वन अमले के हथियार पुलिस विभाग के शस्त्रागार में रखे जाते हैं तो उसका किराया लिया जाये। जिला शस्त्रागार वाले 50 वनमंडलों एवं 120 वन चौकियों की सूची बनाई जाये। जिन कारतूसों की जीवन अवधि तीन वर्ष से अधिक हो गई है उनका उपयोग फील्ड में न कर प्रशिक्षण में किया जाये।

- डॉ. नवीन जोशी


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