16 मार्च 2023। भोपाल स्थित शासकीय होम्योपैथी कालेज के एक प्रोफेसर ने एक अन्य चिकित्सक के साथ मिलकर होम्योपैथी दवाइयों की विद्युतीय चुंबकीय क्षमता के साथ ही उनकी गुणवत्ता बड़ाने और उन्हे चार्ज करने की सफलता पूर्वक खोज की हैं।उनके इस अध्ययन परक खोज को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।इस खोज के अध्ययन और निष्कर्ष को अनेक रिसर्च पेपर्स ने सराहा और प्रकाशित किया गया है।
स्वदेशी रूप से विकसित प्रयोगात्मक सेंसर यानि Ultra High Dilution Signature Detection sensor सेटअप के साथ भोपाल स्थित दो संस्थानों द्वारा दो साल के अध्ययन ने पुष्टि की है कि प्रत्येक होम्योपैथी दवा का अपना विद्युत चुम्बकीय संकेत होता है। एक खास तरह के यंत्र के माध्यम से दवा की पहचान संभव है साथ ही दवा की गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। साथ ही दवा की क्षमता को बढ़ाने के लिए होमियोपैथी दवाओं को चार्ज किया जा सकता है।
भोपाल के शासकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रो. डॉ. निशांत नम्बिसन होम्योपैथी क्षेत्र और सीएसआईआर-उन्नत सामग्री और प्रक्रिया अनुसंधान संस्थान की तरफ से डॉ.हरिनारायण भार्गव के नेतृत्व में यह खास अध्ययन किया गया। अंतरराष्ट्रीय हाई इम्पैक्ट पियर रिव्यु पत्रिका एल्सेवियर साइंस डायरेक्ट में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस अकादमिक प्रकाशन कंपनी की पत्रिकाओं में विश्व की सर्वोत्तम लांसेट पत्रिका भी शामिल है।
होम्योपैथी दवाओं द्वारा प्रसारित सूक्ष्म विद्युत चुंबकीय तरंगों की पहचान करने में अद्वितीय सफलता हासिल
सेंसर से पता चल जाएगा होम्योपैथी की दवा कितनी असरकारक होगी। होम्योपैथी दवाओं द्वारा प्रसारित सूक्ष्म विद्युत चुंबकीय तरंगों की पहचान करने में अद्वितीय सफलता हासिल होगी। यंत्र के माध्यम से दवा की पहचान संभव है साथ ही दवा की गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है। होम्योपैथी दवाओं की प्रभावशीलता को बढ़ने में कारगर होगा।
दवा की गुणवत्ता प्रमाणित करने वाला यह दुनिया का प्रथम यंत्र बनाने में सफल, होम्योपैथी दवाओं को और कारगर बनाने की दिशा में एक अभूतपूर्व सफलता मिली है।
रिसर्च के परिणाम
शोधकर्ता और जीएचएमसी के प्रो. डॉ. निशांत नम्बिसन ने बताया कि "यह आणविक होम्योपैथी के लिए एक बड़ी जीत है। होम्योपैथी दवा की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए विकसित किया गया यह विश्व में पहला सेंसर है। "दवा की गुणवत्ता प्रमाणित करने वाला यह दुनिया का प्रथम यन्त्र है। साथ ही यह होमियोपैथी दवाओं को और कारगर बनाने की दिशा में एक अभूतपूर्व सफलता है।" यहाँ यह उल्लेखनीय है की अति सूक्ष्म होमियोपैथिक दवाओं की पहचान करने का वर्त्तमान में कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है। यह आविष्कार होम्योपैथिक दवा की गुणवत्ता के प्रमाणीकरण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
CSIR-AMPRI के डॉ.हरिनारायण भार्गव ने कहा "अध्ययन पुष्टि करता है कि होम्योपैथी दवाओं को विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा से उत्तेजित किया जाकर उसकी पहचान तब भी संभव है जब दवा बहुत कम मात्रा में होती है।" शोधकर्ताओं का कहना है कि बीमारियों से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक ऊर्जा (प्रतिरक्षा) को पुनर्जीवित करके रोगियों में विभिन्न बीमारियों के इलाज में प्रभावी हो सकती है।
इस शोध में कुछ ऐसे तथ्य सामने आये हैं की प्रो. डॉ. निशांत नम्बिसन, शासकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, भारत सरकार आयुष विभाग से नयी दवाओं की खोज (Drug Discovery), होमियोपैथिक दवा की जांच Quality Control रोग की पहचान Diagnosis करने हेतु वित्तीय सहायता प्राप्त करेंगे। जर्मनी की संस्था Campace ने इस अद्वितीय अध्यनन की सराहना करते हुए मिल कर multi-centric स्टडी हेतु प्रस्ताव भेजा है।
प्रमुख निष्कर्ष
होम्योपैथी दवाओं के गैर-स्पष्टता के पीछे प्रयोगात्मक और वैज्ञानिक साक्ष्य की कमी के अंतर को अध्ययन ने पूरा किया।
होम्योपैथी परीक्षण के नमूनों से प्रेरित विद्युत चुम्बकीय (EM) संकेतों को मापा गया।
स्वदेशी रूप से विकसित प्रयोगात्मक सेंसर उपकरण के माध्यम से होम्योपैथी दवाओं से एक अद्वितीय विद्युत चुम्बकीय हस्ताक्षर का अस्तित्व 300 हर्ट्ज और 4.8 किलोहर्ट्ज़ की कम उत्तेजना आवृत्तियों की निचली और ऊपरी सीमा के तहत देखा गया।
अध्ययन में अलग-अलग अल्ट्रा-लो मेटल कंसंट्रेशन के साथ विभिन्न होम्योपैथी दवाओं को वर्गीकृत करने का एक अनूठा तरीका पाया गया।
अध्ययन में भाग लेने वाले अन्य शोधकर्ताओं में मोहित शर्मा, अवनीश श्रीवास्तव, मनोज कुमार गुप्ता, महेंद्र आर जाधव, खुशवंत सिंह गवेल, प्रभात कुमार बघेल, मेराज अहमद शामिल हैं। डॉ. नरेन्द्र शर्मा, डॉ.अभिषेक द्विवेदी एवं उनकी टीम शासकीय होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
होम्योपैथी दवाइयों के प्रभाव और गुणवत्ता पर नवीन शोध - अनेक प्रभावों का पता लगाना हुआ आसान
Place:
Bhopal 👤By: prativad Views: 524
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