22 मार्च 2023। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के पास बुन्देला विद्रोहियों का लिखित अभिलेख उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी जीएडी के उप सचिव मनोज मालवीय ने मप्र विधानसभा को भेजी है।
दरअसल भाजपा विधायक जालम सिंह पटेल ने विधानसभा में शून्यकाल की सूचना दी थी कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, भारत की स्वतंत्रता के लिए मप्र में बुंदेला विद्रोहियों 1857 की क्रांति के कई नायकों द्वारा शहादत दी गई। जब सन् 1920 के असहयोग आंदोलन से लेकर सन् 1947 तक के संघर्ष करने वालो को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिया जाता है तो फिर सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम व 1842 के बुंदेला विद्रोहियों के नायकों को शहीद का दर्जा नहीं दिए जाने से उनकी शहादता कुर्बानी को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। अनेक शहीदों को फांसी पर चढ़ाया गया, गोली मारी गई, जेलो में ठूंसा गाया, ग्रामों में आग लगाई गई एवं इन स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वालों कि संपत्तियां भी अंग्रेज शासकों ने राजसात कर ली थी। जनता द्वारा शासन से अपेक्षा की जा रही है कि इन बुंदेला विद्रोहियों एवं 1857 की क्रांति वीरों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा दिया जाकर एवं उनकी संपत्तियों को उनके परिवार को वापस कर इन्हें उचित सम्मान एवं समाज में स्थान दिया जाए। उक्त सूचना पर जीएडी के उप सचिव ने विधानसभा को जानकारी भेजी है कि वर्ष 1857 एवं 1842 के बुन्देला विद्राहियों का लिखित अभिलेख मिलना मुश्किल है। इसलिये प्रकरण में विधायक पटेल को इस भावना से अवगत कराया जाये।
- डॉ. नवीन जोशी
जीएडी के पास बुन्देला विद्रोहियों का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है
Place:
Bhopal 👤By: prativad Views: 486
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