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आठ शिक्षकों को नियम विरुद्ध पीएचडी कराने के आरोप

Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 672

5 जून 2023। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय(आरजीपीवी) फिर से विवादों में घिर गया है। इस बार आठ शिक्षकों को नियमविरूद्ध पीएचडी कराकर उन्हें करियर एडवांसमेंट स्कीम का लाभ दिलाने का मामला सामने आया है।इस संबंध में तकनीकी शिक्षक संघ ने राज्यपाल और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर विवि पर 13 शिक्षकों को नियम विरूद्ध पीएचडी कराने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। तकनीकी शिक्षक संघ ने विवि द्वारा यूजीसी रेगुलेशन 2009 के मापदंड अनुसार पीएचडी नहीं कराई गई और शिक्षकों को करियर एडवांसमेंट स्कीम में पीएचडी डिग्री का अनुचित लाभ दे दिया गया है, जिसकी जांच की जानी चाहिए। पत्र में लिखा है कि आरजीपीवी में करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत 13 शिक्षकों ने एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर बनने के लिए अपने आवेदन प्रशासन को प्रेषित किए गए हैं। इनमें आठ शिक्षकों के नामों की सूची भी जारी करते हुए कहा गया है कि इन्हें फायदा पहुंचाने के लिए विवि ने राजपत्र में उल्लेखित नियमों का पालन नहीं किया।इस संबंध में विवि प्रशासन आज बैठक आयोजित किया है।इनमें आठ शिक्षकों को पीएचडी का अनुचित लाभ दिए जाने की आशंका व्यक्त की गई है।

नियमों का पालन नहीं हुआ
शिक्षक संघ ने विवि पर नियमों का उल्लंघन कर उपाधि और उसके आधार पर अनोचित लाभ देने के आरोप लगाते हुए कई बिंदुओं पर आधारित एक पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि सरकार के राजपत्र में प्रकाशित किया गया, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एमफिल पीएचडी उपाधि के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया विनियम 2009 कहा गया था।आरजीपीवी में इसको लगभग एक वर्ष की देरी से 28 जून 2010 से प्रभावी किया गया, जिससे अपने खास लोगों को पीएचडी पुराने नियम अनुसार कराई जा सके। इसके बाद विवि ने 13 लोगों को करियर एडवांसमेंट स्कीम में प्रमोशन का लाभ दिया।इन बिंदुओं पर राज्यपाल और विभाग से जांच की मांग की है।

यह भी आरोप लगे
विश्वविद्यालय पर यह भी आरोप लग रहे हैं की यूजीसी द्वारा रेगुलेशन 2009 पीएचडी 11 जुलाई 2009 को भारत सरकार के राजपत्र पर प्रकाशित किया गया जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एमफिल पीएचडी उपाधि के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया विनियम 2009 कहा गया था।आरजीपीवी में उसको लगभग एक वर्ष की देरी से 28 जून 2010 से प्रभावी किया गया जिससे अपने चाहतों को पीएचडी पुराने नियम के अनुसार कराई जा सके।इसके बाद विश्वविद्यालय ने खास लोगों को पूर्व में करियर एडवांसमेंट स्कीम में प्रमोशन का लाभ दिया एवं एक बार फिर से इन्हीं शिक्षकों को करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोफेसर बनाने की तैयारी की जा रही है।



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