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सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 साल होनी चाहिए, इंटरनेट के युग में बच्चे जल्दी जवान हो रहे हैं- हाई कोर्ट

Place: भोपाल                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 521

30 जून 223। ग्वालियर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने का अनुरोध किया है। रेप मामले की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि इंटरनेट के युग में बच्चे जल्दी जवान हो रहे हैं। इसलिए सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 साल होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में बच्चे 14 साल में जवान हो रहे हैं। एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होकर वे सहमति से संबंध बनाते हैं। ऐसे में युवक आरोपी ही नहीं हैं।

रेप के एक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह अनुरोध किया। इस मामले में कोचिंग संचालक 17 साल की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में तीन साल से जेल में है। कोचिंग संचालक ने लड़की के साथ सहमति से संबंध बनाने के सबूत पेश कर अपने खिलाफ दर्ज रेप की एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर की है। गौरतलब है कि करीब 3 साल से ग्वालियर का एक कोचिंग संचालक राहुल रेप के मामले में जेल में बंद है। उन पर 17 साल की एक छात्रा ने रेप का आरोप लगाया था।

इन तारीखों पर हुआ था केस, कोर्ट ने दी थी गर्भपात की इजाजत
इस मामले की एफआईआर थाटीपुर थाने में की गई थी। राहुल के साथ-साथ उनके एक रिश्तेदार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था। कोचिंग संचालक पर 18 जनवरी 2020 को रेप का आरोप लगा था। वहीं, घटना के छह महीने बाद 17 जुलाई 2020 को छात्रा ने थाटीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद इस मामले में कोचिंग संचालक को जेल भेज दिया गया। बता दें, इस मामले में छात्रा गर्भवती हो गई थी। ऐसे में छात्रा की ओर से नाबालिग होने और भविष्य खराब होने का हवाला देकर गर्भपात की इजाजत मांगी गई थी। इस पर विचार करने के बाद सितंबर 2020 में हाई कोर्ट ने छात्रा को गर्भपात की इजाजत दे दी थी।

युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है, इसलिए उम्र 16 होनी चाहिए
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया। हाई कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट के युग में बच्चे जल्दी जवान हो रहे हैं। इसलिए सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 साल होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में बच्चे 14 साल में जवान हो रहे हैं। एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होकर वे सहमति से संबंध बनाते हैं। ऐसे में युवक आरोपी ही नहीं हैं। आजकल ज्यादातर आपराधिक मामलों में पीड़िता की उम्र 18 साल से कम होती है। इस विसंगति के कारण किशोर युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है।



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