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चीनी मिसाइलों को रोकने के लिए भारत का स्वदेशी आयरन डोम

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 3993

7 नवंबर 2023। भारत के पास अब से करीब पांच साल बाद अपना आयरन डोम होगा। यह स्वदेशी लॉंग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (LR-SAM) है, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम होगा। इस सिस्टम का निर्माण भारतीय अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) कर रहा है।

DRDO के अधिकारियों का दावा है कि यह सिस्टम इजरायल के आयरन डोम से भी अधिक शक्तिशाली होगा। यह सिस्टम 350 किलोमीटर की दूरी तक की मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम होगा। यह सिस्टम रूस के एस-400 मिसाइल सिस्टम की तरह काम करेगा।

इस सिस्टम के विकास से भारत की हवाई सुरक्षा को काफी मजबूती मिलेगी। यह सिस्टम पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के मिसाइलों का मुंहतोड़ जवाब दे सकेगा।

DRDO के अधिकारियों का कहना है कि इस सिस्टम का पहला परीक्षण 2025 में किया जाएगा। यदि परीक्षण सफल होता है, तो यह सिस्टम 2028-29 तक भारतीय सेना में शामिल हो जाएगा।

इस सिस्टम के विकास से भारत की हवाई सुरक्षा में एक बड़ा कदम होगा। यह सिस्टम भारत को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह सिस्टम कैसे काम करेगा?
इस सिस्टम में तीन मुख्य घटक होंगे:
रडार: यह रडार दुश्मन की मिसाइलों को पता लगाएगा और उनकी लोकेशन और गति का पता लगाएगा।
लक्ष्यीकरण प्रणाली: यह लक्ष्यीकरण प्रणाली रडार से प्राप्त जानकारी का उपयोग करके दुश्मन की मिसाइलों को ट्रैक करेगी।
इंटरसेप्टर मिसाइल: यह इंटरसेप्टर मिसाइल दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराएगी।
यह सिस्टम एक मल्टी-लेयर सिस्टम होगा। इसका मतलब है कि यह सिस्टम अलग-अलग ऊंचाई पर उड़ने वाली मिसाइलों को भी मार गिराने में सक्षम होगा।

इस सिस्टम के फायदे
यह सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम होगा, जिससे जमीन पर किसी भी नुकसान से बचा जा सकेगा।
यह सिस्टम भारत को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह सिस्टम भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत करेगा।
इस सिस्टम की चुनौतियां

इस सिस्टम का विकास एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
इस सिस्टम के परीक्षण में भी कई चुनौतियां हो सकती हैं।
इस सिस्टम को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए भी कई चुनौतियां हो सकती हैं।
हालांकि, DRDO का दावा है कि वह इन चुनौतियों को पार करने में सक्षम है।


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