×

मप्र में मोहन यादव का पहला निर्णय और मानसिक अत्‍याचार से मुक्‍ति

prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद
Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 5059


- डॉ. मयंक चतुर्वेदी

इतिहास साक्षी भाव से वर्तमान और भविष्‍य को इस बात का दिग्‍दर्शन देता है कि आपके पूर्वजों ने क्‍या किया है। आपके पूर्वजों ने जो बोया उसी फसल को वर्तमान या भविष्‍य की पीढ़ी काटने के लिए प्रेरित या विवश रहती है। मध्‍यप्रदेश में मुख्‍यमंत्री पद ग्रहरण करने के तुरंत बाद डॉ. मोहन यादव ने प्रथम नस्ती पर जिन बिन्‍दुओं एवं निर्णयों को लेकर अपने हस्ताक्षर किए उन्‍होंने आज एक ऐसे भविष्‍य के मप्र का आगाज किया है, जिसे यदि संत तुलसी की भाषा में कहें तो परहित सरिस धर्म नहीं भाई, पर पीडा सम नहिं अधमाई॥ (रामचरित मानस - 7/49/1) परोपकार से बढ़कर दूसरा धर्म नहीं है और किसी को दुख पहुंचाने से बढ़कर कोई दूसरा अधर्म नहीं है।

दुनिया के तमाम देशों और राज्‍यों में, जहां भी दृष्टि जाए आप देखें, कितनी जगह बहुसंख्‍यक समाज अल्‍पसंख्‍यकों से प्रताड़ित होता हुआ दिखता है? किंतु भारत में यह कई मुद्दों पर प्रताड़ना जैसे आम बात है। मप्र राज्‍य में भी इस्‍लाम को माननेवालों ने ध्‍वनि यंत्रों की कर्कश आवाज से अजान के माध्‍यम से कई लोगों को परेशान करके रखा है, लेकिन अब तक कोई सत्‍ता ऐसी नहीं रही, जिसने सीधे और साफ संकेत दिए हों, कि अब बहुत हुआ, अपनी मजहबी जरूरतों को इस तरह पूरा करो कि किसी दूसरे को इससे तकलीफ न हो।

वस्‍तुत: भारत 1947 में मजहबी उन्‍माद के दंश स्‍वरूप अपने दो तुकड़े करवा चुका है। इस्‍लाम को माननेवाले मजहब के नाम पर यह तर्क देकर कि हिन्‍दू और मुसलमान दो अलग-अलग धर्म हैं दोनों एक साथ नहीं रह सकते, इसलिए हमें अपने लिए अलग मुल्‍क चाहिए। इस्‍लाम-मुसलमान के नाम पर पाकिस्‍तान, भारत से कटकर अलग हुआ। परन्‍तु शेष भारत ने अपने लिए जो विकास का रास्‍ता चुना, वह "सर्वे भवन्‍तु सुखिनः" का रास्‍ता था, जिसमें क्‍या मुसलमानऔर क्‍या अन्‍य सभी को समान रूप से बल्‍कि कहना चाहिए कि कमजोर और संख्‍याबल में उन्‍हें कम मानते हुए विशेष अल्‍पसंख्‍यक का दर्जा देकर अतिरिक्‍त लाभ दिए गए । लेकिन यह क्‍या ? यही अल्‍पसंख्‍यक विशेष कर इस्‍लाम को माननेवाले अधिकांश बहुसंख्‍यक हिन्‍दू समाज के आम जीवन में किसी न किसी रूप में कठिनाइयां पैदा करने का कारण बनते दिखे हैं। मस्‍जिदों पर अजान देने के नाम पर लगे बड़े-बड़े लाउडस्‍पीकर इसी कड़ी का एक बड़ा उदाहरण है।

यह किसी को वह सुनाना जोकि उसके धार्म‍िक विश्‍वास से मेल नहीं खाता, वह भी नियमित और अनेक बार, ताकि वह आज नहीं तो कल सुनने-सुनते ही सही मनोवैज्ञानिक रूप से उसे सच मान बैठे, यह भी भाव कहीं न कहीं लाउडस्‍पीकर की इस ऊंची आवाज के पीछे होने का कारण लगता है। वास्‍तव में ऐसा कहने के पीछे बड़ा तर्क भी मौजूद है, अज़ान अरबी भाषा के 'उज़्न' शब्द का बहुवचन है। जिसका मतलब 'ऐलान' होता है। हर मुसलमान के लिए उसके जीवन का सबसे अहम हिस्‍सा यही 'ऐलान' माना गया है।

अब प्रश्‍न स्‍वभाविक है कि यह 'ऐलान' किसके लिए किया जा रहा है? स्‍वभाविक तौर पर इसमें साफ है, जिनका इस 'ऐलान' पर विश्‍वास है वह साथ आएं और जिनका नहीं वह भी जान लें कि यही सच है, आज नहीं तो कल तुम्‍हें भी इसको मानना होगा, फिर भले ही तुम इसे नहीं स्‍वीकारते हो, लेकिन एक समय आएगा जब तुम्‍हें इसे हर हाल में (विश्‍वास) मानोगे। उदाहरण स्‍वरूप आप देख सकते हैं देश और दुनिया में जिहाद के रास्‍ते पर जो चल रहे हैं उनके जीवन को। जो आतंकवादी पकड़े जाते हैं, वह यही कहते हैं, पूरी दुनिया को इस्‍लाम के रास्‍ते पर लाना ही उनका मकसद है। इसी के लिए उनका यह जिहाद है। यही काम ऊंची आवाज में लाउडस्‍पीकरों के जरिए मस्‍जिदों से पांच बार निकलनेवाली अजान की ध्‍वनि भी मनोवैज्ञानिक रूप से कर रही है।

क्‍योंकि जो अजान हो रही है, उसमें साफ कहा जाता है, अल्लाह सबसे बड़ा है, मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, मैं गवाही देता हूं कि (हज़रत) मुहम्मद (स.) अल्लाह के रसूल (नबी, प्रोफेट) हैं । (लोगों) आओ नमाज़ के लिए, (लोगों) आओ कामयाबी के लिए, नींद से बेहतर नमाज़ है, अल्लाह सबसे बड़ा है। कोई इबादत के लायक नहीं सिवाय अल्लाह के। पहले तो यहां सभी को यह समझ लेना होगा कि ईश्‍वर, अल्‍लाह, भगवान एक अर्थ नहीं हैं। जो यदि ऐसा मानते हैं तो वे भ्रम में हैं। क्‍योंकि यदि यही सच होता तो अल्‍लाह के लिए जिहाद, इस्‍लाम के लिए जिहाद के नारे पूरी दुनिया में कहीं भी कभी भी बुलंद नहीं होते और न ही ईश्‍वर के नाम पर दुनिया भर में हुए क्रूर अमानवीय अत्‍याचार ही होते । जिनमें कि इन दोनों के कारण अब तक उन लाखों लोगों की हत्‍या इसलिए कर दी गई, क्‍योंकि उनका विश्‍वास इस्‍लाम और ईसाईयत पर नहीं था ।

यहां सबसे बड़ी बात यह है कि आपका विश्‍वास है कि अल्लाह सबसे बड़ा है और उसके अतिरिक्‍त अन्‍य कोई भी इबादत के लायक नहीं, किंतु यह कई अन्‍यों का विश्‍वास तो नहीं है, फिर क्‍यों उन्‍हें भी हर दिन 24 घण्‍टे में पांच बार यह सुनने के लिए विवश किया जा रहा है? इसे लेकर उच्‍चतम न्‍यायालय का 18 जुलाई 2005 का निर्णय भी मौजूद है। जिसमें कहा गया, 'हर व्यक्ति को शांति से रहने का अधिकार है और यह अधिकार जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती। शोर करने वाले अक्सर अनुच्छेद 19(1)ए में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की शरण लेते हैं। किंतु कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर चालू कर इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता।'

न्‍यायालय का यह निर्णय साफ कहता है, 'लाउडस्पीकर से जबरदस्ती शोर सुनने को बाध्य करना दूसरों के शांति और आराम से प्रदूषणमुक्त जीवन जीने के अनुच्छेद-21 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। अनुच्छेद 19(1)ए में मिला अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है। इसलिए सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज उस क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से 10 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी या फिर 75 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी, इनमें से जो भी कम होगा वही लागू माना जाएगा। जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां लाउडस्पीकर व उपकरण जब्त करने के बारे में राज्य प्रविधान करे।'

वस्‍तुत: उत्‍तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की तरह ही मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज इसी न्‍यायालय के दिए निर्णय को अमलीजामा पहनाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है। इनका इस तरह इस दिशा में बढ़ाया गया यह कदम कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लगाता है कि जो देर रात काम करते हैं और भोर में विश्राम लेते हैं, उन्‍हें कम से कम अब हर सुबह ऊंची आवाज सुनने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। वे अब सुख की पूरी नींद ले पाएंगे और वहीं उन्‍हें भी अब मनोवैज्ञानिक प्रेशर से मुक्‍ति मिल जाएगी जिन्‍हें बार-बार अल्‍लाह ही सबसे बड़ा है और उसके अतिरिक्‍त अन्‍य कोई भी इबादत के लायक नहीं, सुनाया जाकर उनकी धार्म‍िक आस्‍थाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।




Madhya Pradesh, MP News, Madhya Pradesh News, Hindi Samachar, prativad.com


Related News

Global News