×

शौर्य को नमन के "राष्ट्रीय संस्कार" का निर्वहन करता "शौर्य-स्मारक" - डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा

News from Bhopal, Madhya Pradesh News, Heritage, Culture, Farmers, Community News, Awareness, Charity, Climate change, Welfare, NGO, Startup, Economy, Finance, Business summit, Investments, News photo, Breaking news, Exclusive image, Latest update, Coverage, Event highlight, Politics, Election, Politician, Campaign, Government, prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद, समाचार, हिन्दी समाचार, फोटो समाचार, फोटो
Place: भोपाल                                                👤By: वेब डेस्क                                                                Views: 17632

मध्यप्रदेश के सर्वाधिक व एतिहासिक जनादेश के द्योतक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की "ह्रदय स्पर्शी" वह कल्पना जो साकार हुई - "शौर्य स्‍मारक" - आखिर क्‍या है ?



यह उन सभी हुतात्‍माओं के प्रति "राष्ट्रीय-नमन" है, जिनके त्याग व बलिदान के कारण हमारा वर्तमान "स्‍वतंत्र और सुरक्षित" है। संभवत: यह भारत का पहला व अभूतपूर्व प्रयास है, जहां पहुंचने के बाद हर नागरिक सीमा पर देश की रक्षा करते हुए "बलिदान" करने वाले अमर शहीदों से सीधा संवाद करता हुआ नजर आता है। इस स्‍थान पर पहुंचकर लगता है कि शहीदों का जीवन वास्‍तव में होता कैसा है ? और हमें उन पर क्‍यों गर्व होना चाहिए ?



यह हमारे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का देश के लिए एक ऐसा उपहार कहा जा सकता है जिसे देखने के बाद देश का हर नागरिक राष्ट्र-गौरव व आत्‍मविश्‍वास से भर जाएगा। उसे भी लगेगा कि "हम करे राष्‍ट्र आराधन, तन, मन, धन, जीवन से"। वास्‍तव में भोपाल में बने इस शौर्य स्मारक को देखकर ह्दय में यही भाव जाग्रत होते हैं कि "देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखे"



भारतीय जनता पार्टी की बुनियाद में "सांस्र्क्रतिक-राष्‍ट्रवाद" निहित है। जब भारतीय-जनसंघ की स्थापना हुई थी त‍ब पं. दीनदयाल उपाध्‍याय जी का "एकात्‍म-मानववाद दर्शन" एक राजनैतिक आदर्श के रूप में रखा गया था। जिसमें विकास में पीछे छूट रहे अंतिम व्‍यक्‍ति को मुख्‍यधारा में लाने की चिंता "समग्रता" से है। साथ में सभी का "समग्र-समरस विकास" राष्‍ट्रीयता के साथ हो इस बात पर जोर दिया गया। तब से लेकर आज तक, भाजपा के वर्तमान उत्‍कर्ष तक चाहे मध्यप्रदेश में शिवराज जी का नेतृत्व हो अथवा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हों, पार्टी हमेशा ऐसे निर्णय और कार्य करती रही है जिसके कारण हमारे प्रदेश व देश के हर नागरिक का मस्‍तक स्वाभिमान से ऊंचा ही हुआ है। केंद्र में सत्‍ता आने के बाद हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के निर्णय पूरी दुनिया को यह मानने के लिए विवश करते रहे हैं कि आज का भारत एक शक्‍तिशाली राष्‍ट्र है। उस पर जरा सी भी आंच आने पर अपना जवाब देने में अब भारत की सेना जरा भी संकोच नहीं करेगी। दूसरी ओर देश में जिन राज्‍यों में भाजपा की सरकारें हैं वे लगातार सभी वर्गों के जीवन को समर्थ व शक्‍तिशाली बनाने के लिए अपनी तरफ से निरंतर सकारात्‍मक काम कर रही हैं। इसी प्रकार के प्रयासों में से यह एक प्रयास मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सकारात्‍मक कल्‍पना से साकार हुआ है जो आज हमारे बीच शौर्य स्मारक के रूप में स्थापित हुआ है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की अवधारणा पर चलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की यह कल्पना उनके "जन्म-शती वर्ष" पर एक अप्रतिम भेंट होगी।



शौर्य सीमा पर हो या देश के भीतर, किसी भी कोने में यह हमेशा अमरत्‍व ही प्रदान करता है। शौर्य के प्रदर्शन के बाद सम्‍मान मिले या न मिले लेकिन कर्ता की चेतना हमेशा इस बात से अभीभूत रहती है कि उसने कुछ श्रेष्‍ठ कार्य किया है। यह बात जब भी सार्वजनिक होती है तो निश्‍चि‍त ही अपार सम्‍मान भी मिलता ही है । इसके साथ यह भी एक सत्‍य है कि अपनी पीढ़ि‍यों को इस का दर्शन कराने के लिए और यह बताने के लिए कि तुम जिस आजादी की स्‍वतंत्रता में श्‍वास ले रहे हो वह ऐसे ही नहीं मिली। उसके पीछे अनेक वीरों का बलिदान है। अपनी मातृभूमि और समाज जीवन के लिए अपना सर्वस्‍व होम करने वालों को सदैव नमन करते रहना चाहिए, उन्‍हें सतत याद करते रहना चाहिए तथा उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।



मुख्यामंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की कल्पना के अनुसार देश के लिये अपने प्राणों का बलिदान देने वाले वीर शहीदों पर समर्पित यह स्मारक 12.67 एकड़ भूमि पर बनाया गया है । शौर्य स्मारक का निर्मित क्षेत्रफल लगभग 8,000 वर्ग मीटर है। यहां निर्मित 62 फीट ऊँचा स्तम्भ बता रहा है कि एक सैनिक का जीवन कितना महान और गौरवशाली होता है। उससे प्रत्‍येक नागरिक को प्रेरणा लेनी चाहिए। स्तम्भ की प्रत्येक ग्रेनाइट डिस्क हमारी जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के शौर्य को प्रदर्शित कर रही है । साथ में शहीदों के सम्मान में प्रज्जवलित की गई अखंड-ज्‍योति यहां अत्याधुनिक होलोग्राफिक लौ के माध्यम से दिखाई गई है। इसके अलावा यहाँ पर व्याख्या केन्द्र, संग्रहालय, सियाचिन का जीवंत अनुभव करा देने वाली रचना व खुला रंगमंच जैसे कई प्रकल्प बनाये गए हैं।



मुझे तो लगता है कि प्रत्‍येक भारतवासी को इसे कम से कम एक बार अवश्य ही देखना चाहिए। इसके साथ ही गौरव का वह क्षण भी आ गया है, जब जिस स्मारक का भूमि-पूजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आज से 5 वर्ष पूर्व 23 फरवरी, 2010 को तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर की उपस्थिति में करने के बाद अब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 14 अक्‍टूबर २०१६ को उसका विधिवत लोकार्पण करने जा रहे हैं।



( लेखक मध्‍यप्रदेश के प्रवक्ता तथा जनसंपर्क, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री हैं )

Related News