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25 दवा कंपनियों की 40 दवाइयां और इंजेक्शन सब-स्टैंडर्ड, 50% से अधिक दवाएं हिमाचल की

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Place: भोपाल                                                👤By: prativad                                                                Views: 2112

25 जनवरी 2024। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में हिमाचल प्रदेश में 25 दवा उद्योगों में निर्मित 40 दवाइयां और इंजेक्शन सब-स्टैंडर्ड पाए गए हैं।

इनमें अस्थमा, बुखार, डायबिटीज, हाई बीपी, एलर्जी, मिर्गी, खांसी, एंटीबायोटिक, ब्रोंकाइटिस और गैस्ट्रिक के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां और इंजेक्शन शामिल हैं।

इसके अलावा, कैल्शियम सप्लीमेंट सहित मल्टी विटामिन भी जांच में फेल हो गए हैं।

सब-स्टैंडर्ड पाई गई दवाओं का निर्माण बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, सोलन, कालाअंब, पावंटा साहिब, संसारपुर टैरेस स्थित दवा उद्योगों में हुआ है।

इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मुंबई, तेलंगाना, दिल्ली स्थित दवा उद्योगों में निर्मित 38 तरह दवाओं के सैंपल भी जांच में फेल हो गए हैं।

बद्दी स्थित एलायंस बायोटेक द्वारा निर्मित रक्त के थक्के के उपचार के हेपरिन सोडियम इंजेक्शन के विभिन्न बैचों के आठ सैंपल फेल हुए हैं।
झाड़माजरी स्थित कान्हा बायोजेनेटिक में निर्मित विटामिन डी 3 टैबलेट के पांच सैंपल फेल हैं।

ड्रग अलर्ट में शामिल 25 दवा कंपनियां जांच के दायरे में हैं, जिनमें से कई कंपनियों में निर्मित दवाओं के सैंपल बार-बार फेल हो रहे हैं।

सीडीएससीओ द्वारा जारी ड्रग अलर्ट में सब-स्टैंडर्ड घोषित की गई दवाओं में से 50 प्रतिशत से अधिक का निर्माण हिमाचल की दवा कंपनियों में हुआ है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दिसंबर माह में देश के अलग-अलग राज्यों से 1008 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 78 दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं, जबकि 930 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर खरी उतरी हैं।

डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि ड्रग अलर्ट में शामिल सभी संबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए संबंधित बैच का पूरा स्टाक वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके अलावा, जिन उद्योगों के बार-बार सैंपल फेल हो रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। कान्हा बायोजेनेटिक्स की दोनों इकाईयों को एक माह पहले विनिर्माण बंद करने के आदेश के बाद अब बंद कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश में 25 दवा कंपनियों में निर्मित 40 दवाइयां और इंजेक्शन सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं। इन दवाइयों में अस्थमा, बुखार, डायबिटीज, हाई बीपी, एलर्जी, मिर्गी, खांसी, एंटीबायोटिक, ब्रोंकाइटिस और गैस्ट्रिक के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां और इंजेक्शन शामिल हैं। इन दवाइयों का निर्माण बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, सोलन, कालाअंब, पावंटा साहिब, संसारपुर टैरेस स्थित दवा उद्योगों में हुआ है। सीडीएससीओ ने इन दवाइयों को वापस मंगवाने के लिए संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा, जिन उद्योगों के बार-बार सैंपल फेल हो रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

हिमाचल प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। लगातार दवाओं के सैंपल फेल होने से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। सरकार को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।

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