राजस्थान जैतून की खेती करने वाले राज्यों की अग्रिम पंक्ति में शामिल

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Place: नई दिल्ली                                                👤By: Digital Desk                                                                Views: 17929

राजस्थान देश में जैतून के अग्रणी उत्पादक के रूप में उभरकर सामने आया है। राजस्थान में 182 हेक्टेयर सरकारी कृषि क्षेत्रों के अतिरिक्त किसानों के 425.18 हेक्टेयर खेतों में जैतुन की खेती की जा रही है। 2013 से 2016 तक राज्य में कुल 11574.09 किलोग्राम जैतून के तेल का उत्पादन किया गया है। प्रारंभ में, राज्य ने कुल 182 हेक्टेयर क्षेत्र के सरकारी खेतों पर जैतून की खेती आरम्भ की थी। अब किसानों के खेतों पर इसकी खेती 425.18 हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। राज्य के विभिन्न भागों में जैतून के सात कृषि क्षेत्र तैयार किए गए हैं।

वर्ष 2008 से ही इजराइल के सक्रिय सहयोग से राज्य द्वारा आरम्भ में जैतून के 1,12,000 पौधे आयात किए थे। इजराइल की जलवायु तथा मिट्टी लगभग राजस्थान के समान ही हैं। वर्ष 2008-10 में राज्य के विभिन्न भागों में कुल 182 हेक्टेयर सरकारी भूमि क्षेत्र पर जैतून के सात कृषि क्षेत्र तैयार किए गए थे। वर्ष 2015 से मार्च 2016 की अवधि में जैतून की खेती का विस्तार किसानों के 296 हेक्टेयर खेतों तक हो चुका है।



राज्य में इजराइल से आयात की गई जैतून की सात विभिन्न किस्में हैं : - बार्निया (उत्पत्ति: इजराइल, प्रयोजन: तेल), अर्बेक्यूएना (उत्पत्ति : स्पेन, प्रयोजन: तेल), कोर्टिना (उत्पत्ति: इटली, प्रयोजन: तेल), पिचोलाइन (उत्पत्ति: फ्रांस, प्रयोजन: दोनों), पिकुअल (उत्पत्ति: स्पेन, प्रयोजन: तेल), कोरोनिकी (उत्पत्ति: ग्रीस, प्रयोजन: तेल) और फ्रंटोइओ (उत्पत्ति: टस्कनी व इटली, प्रयोजन: तेल)।



उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में राजस्थान की मुख्यमंत्री, श्रीमती वसुंधरा राजे ने किसानों व कृषि विशेषज्ञों की एक टीम के साथ जैतून की खेती की तकनीकी सम्भावनाओं व आर्थिक वायबिलिटी का अध्ययन करने के लिए इजराइल के नेगेव रेगिस्तान में स्थित कीबुत्ज में जैतून के खेत का दौरा किया था। राजस्थान सरकार ने इस विषय पर अध्ययन करने तथा विशेषज्ञ टीमों की सिफारिशों की समीक्षा करने के बाद राज्य में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरषिप के तहत जैतून की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया।



अप्रैल 2007 में कंपनी अधिनियम-1956 के तहत 'राजस्थान ऑलिव कल्टिवेषन लिमिटेड (आरओसीएल)' का गठन किया गया। राज्य में जैतून की खेती की तकनीकी सम्भावनाओं एवं आर्थिक वायबिलिटी का अध्ययन करने के लिए यह संगठन राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड (आरएसएएमबी), फिनोलेक्स प्लास्सन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एफपीआईएल) और इंडओलिव लिमिटेड ऑफ इसराइल के सहयोग से गठित किया गया। इसके निदेशक मंडल में प्रत्येक साझेदार से तीन निदेशक शामिल हैं।



जैतून तेल की देश में अपनी ढंग की पहली रिफाईनरी

राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने बीकानेर के लूणकरणसर क्षेत्र में 3.75 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित की गई रिफाइनरी का 3 अक्टूबर, 2014 को उद्घाटन किया। इसके साथ ही राजस्थान इस प्रकार की रिफाइनरी स्थापित करने वाला देष का प्रथम राज्य बन गया। इसके जरिए जैतून का कुल 11,574.09 किलोग्राम तेल का उत्पादन हो चुका है, जिसे 'राज ऑलिव ऑयल' ब्रांड नाम दिया गया है। बीकानेर को जैतून की खेती के केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।



राजस्थान में जैतून की खेती का क्षेत्र

राज्य में जैतून का वृक्षारोपण मार्च 2008 से शुरू किया गया था, जो 2010 में पूरा किया गया। यह राज्य के निम्नलिखित सात अलग-अलग स्थानों पर किया गया है - 1. बस्सी (जयपुर) - 2.00 हेक्टेयर, 2. बाकलिया (नागौर) - 30.00 हेक्टेयर, 3. सांथु (जालौर) - 30.00 हेक्टेयर, 4. बारोर (बीकानेर) - 30.00 हेक्टेयर, 5. तिनकिरूडी (अलवर) - 30.00 हेक्टेयर, 6. लूणकरणसर (बीकानेर) - 30.00 हेक्टेयर, 7. बसाबसिना (झुंझुनू) - 30.00 हेक्टेयर आदि।



'राजस्थान ऑलिव कल्टिवेषन लिमिटेड द्वारा प्रदान की जा रही सेवाएं: -

राजस्थान ऑलिव कल्टिवेशन लिमिटेड के माध्यम से दुनिया के प्रसिद्ध जैतून विषेशज्ञों द्वारा कृषि क्षेत्रों की नियमित रूप से यात्राएं की जा रही है। वे यहां की प्रगति का निरीक्षण एवं निगरानी कर रहे हैं और तकनीकी जानकारियां प्रदान कर रहे हैं। इजराइल से उच्च गुणवत्ता वाले जैतून के पौधों (1.12 लाख) का आयात किया गया है। दुर्गापुरा (जयपुर) में स्थित नर्सरी में इन्हें सख्त बनाने के बाद आयातित पौधों को विभिन्न समय में अलग-अलग स्थानों पर लगाया जाता है। राजस्थान ऑलिव कल्टिवेषन लिमिटेड चार कृषि क्षेत्रों में ड्रिप सिंचाई के माध्यम से सिंचाई की जा रही है, जो सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक, ऑटोमैटिक प्रणाली से नियंत्रित की जाती है। अन्य कृषि क्षेत्रों में मैनुअल नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से नियंत्रण किया जा रहा है। कृषि क्षेत्रों को फर्टिगेषन, पीएच, ईसी रूट, एग्रो-एग्रोनोम कंट्रोलर के जरिए ईसी ड्रिपर्स जैसी उच्च तकनीक से युक्त किया गया है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी नियंत्रित किया जा सकता है।

राजस्थान ऑलिव कल्टिवेषन लिमिटेड द्वारा किसान को वितरित करने से पूर्व विभिन्न कल्टीवेशन प्रैक्टिसेज जैसे सुपर इंटेंसिव प्लांट जियोमेट्री, फर्टिगेषन, प्लांट प्रोटेक्षन, एग्रोनॉमिकल प्रेक्टिसेज, लीव्ज डायग्नोसिस एवं फर्टिलाइजर एफिषिएंषी इंटर क्रॉप्स जैसी विभिन्न कार्यप्रणालियां प्रयोगात्मक चरणों में हैं एवं प्रतिवर्ष 20 लाख जैतून के पौधे तैयार करने की क्षमता वाली हाईटेक विश्वस्तरीय जैतून नर्सरी संचालित है। कम्पनी द्वारा सभी साइटों पर ऑटो मेट्रोलॉजिकल स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिनके द्वारा जलवायु की प्रत्येक गतिविधि को रिकॉर्ड कर विश्लेषण किया जा रहा है। भारत सरकार भी राजस्थान में जैतून की खेती को प्रौत्साहन देने के लिए सहयोग कर रही है।



'ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट 2016' (ग्राम) के बारे में :

'ग्राम' एक अंतरराष्ट्रीय एग्री इवेंट है जो जयपुर के सीतापुरा में स्थित जयपुर एग्जीबिषन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में 9 से 11 नवम्बर तक आयोजित किया जाएगा। इसका आयोजन राजस्थान सरकार एवं फैडरेषन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा संयुक्त रूप किया जा रहा है। इस इवेंट में लगभग 50,000 किसानों के भाग लेने की संभावना है। 'ग्राम' के आयोजन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में त्वरित और सतत विकास के माध्यम से किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण सुनिष्चित करना तथा वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करना है। इसके अतिरिक्त इस वैष्विक आयोजन में राजस्थान के कृषि जलवायु के अनुरूप विष्व भर की सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जायेगा। यह मीट निवेशकों, मैन्यूफैक्चरर्स के साथ-साथ शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं के लिए भी महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।





- गोपेन्द्र नाथ भट्ट



लेखक- राजस्थान सूचना केन्द्र, बीकानेर हाउस, नई दिल्ली में अपर निदेशक हैं।

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