×

शिव सेना ने बताया मुंबई का बड़ा भाई कौन?

prativad news photo, top news photo, प्रतिवाद
Place: New Delhi                                                👤By: PDD                                                                Views: 18375

बृहन्मुंबई नगर पालिका (बीएमसी) का चुनाव शिव सेना और इसके पूर्व साथी और अब इसके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के बीच इस बात की लड़ाई थी कि दोनों में बड़ा भाई कौन है और छोटा भाई कौन?



अब तक आने वाले नतीजों से इसका जवाब मिल गया है: मुंबई में शिव सेना बड़ा भाई है.



चुनाव से पहले शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था. कहने को उन्होंने ये क़दम सीटों के बटवारे से उठे मतभेद को लेकर उठाया था.

लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार असल वजह थी भाजपा की राज्य में बढ़ती लोकप्रियता. अब तक इस रिश्ते में शिव सेना को बड़े भाई के रूप में देखा जाता था.



लेकिन राज्य में साल 2014 में एक साथ हुए आम चुनाव और विधान सभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार शिव सेना से अधिक सीटें जीतकर बड़े भाई का दर्जा प्राप्त कर लिया था. अचानक रिश्ते में दरार नज़र आने लगी. शिव सेना राज्य और केंद्र सरकारों में शामिल ज़रूर हुई लेकिन अपना मन मार कर.



उद्धव ठाकरे ने एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना शिवाजी के विरोधी औरंगज़ेब के सेनापति अफ़ज़ल ख़ान से की. कभी उन्हें हटलर जैसा नेता बताया. उन्होंने नोटबंदी के खिलाफ़ भी जमकर प्रचार किया.



www.prativad.com,Madhya Pradesh Latest News



उद्धव ठाकरे, भाजपा नेता और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के बीच भी रिश्ते ख़राब होने लगे. उद्धव ने फड़णवीस को बड़ा भाई नहीं माना, जबकि फड़णवीस ने उन्हें ये हर बार जताया कि इस रिश्ते में अब वो बड़े भाई हैं.



राज्य में शिव सेना की गिरती साख और भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण शिव सेना ने बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया.



बीएमसी के चुनावी रुझान से ये तो साबित हो गया कि असल संघर्ष शिवसेना-भाजपा के बीच था. कांग्रेस, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का लगभग सफाया हो गया है.



इन नतीजों से ये भी लगभग साबित हो गया कि कम से कम मुंबई में शिव सेना बड़ा भाई है. फड़णवीस ने कहा था कि बीएमसी चुनाव में जीत का श्रेय पार्टी को जाएगा और हार की ज़िम्मेदारी उनकी होगी.



लेकिन अब तक के रुझान से ज़ाहिर होता है कि फड़णवीस हार के भी नहीं हारे. नतीजों से पता चलता है कि बीएमसी की 227 सीटों में 111 सीटों का मैजिकल नंबर दोनों में से किसी को नहीं मिलेगा. दिन के तीन बजे तक शिव सेना ने 92 सीटों पर बढ़त बनाई हुई थी जबकि भाजपा 75 सीटों पर आगे थी.



अगर 2012 के नतीजों पर एक नज़र डालें तो फड़णवीस निराश नहीं होंगे. पिछले चुनाव में पार्टी को केवल 31 सीटें हासिल हुई थीं. इस बार इसे तीन गुना अधिक सीटें मिल रही हैं.



बीएमसी का सालाना बजट 37000 करोड़ का है जो कई छोटे राज्यों के बजट से अधिक है. पिछले 20 साल से इस पर शिव सेना का क़ब्ज़ा रहा है. इसे अक्सर भ्रष्टाचार और कुप्रबंध के आरोप का सामना करना पड़ा है.



उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी चुनाव के बाद सीटें कम पड़ने पर भी भाजपा से दोबारा हाथ नहीं मिलाएगी. हो सकता है कि उद्धव कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर बीएमसी पर अपना क़ब्ज़ा बनाए रखने में कामयाब हों.



मुंबई में भाजपा से अधिक सीटें लाकर शिव सेना बड़े भाई का दर्जा बनाए रखने में भी कामयाब रहे. लेकिन गठबंधन टूटने से असल फायदा भाजपा को हुआ है. इसकी सीटें तो बढ़ी ही हैं, वोट शेयर भी बढ़ा है.



कहीं अगले चुनाव में नतीजे शिव सेना पर भारी ना पड़ जाएं. उधर नागपुर जैसे कई दूसरे शहरों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से पार्टी ने इन शहरों में बड़े भाई का रूप धारण किया है जो भाजपा की एक बड़ी उपलब्धि है. मुंबई का छोटा भाई महाराष्ट्र में बड़ा भाई तो है.





Source: बीबीसी



Related News

Global News